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आइजैक न्यूटन जीवन परिचय व न्यूटन के गति के नियम

 आइजैक न्यूटन

आइजैक न्यूटन एक महानतम वैज्ञानिकों और गणितज्ञों में से एक थे। आइजैक न्यूटन जीवन परिचय व न्यूटन के गति के नियम . न्यूटन ने एक महत्वपूर्ण और नई गणित का इजाज किया जिसे “कैलकुलस” कहा जाता है। अभी भी गणितज्ञ वैज्ञानिक और इंजीनियर उसका प्रयोग करते हैं .कई लोगों ने उनके सिद्धांतो की आलोचना भी की पर न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण बलों और गति की समझ की एक पक्की नींव रखी .आइज़क न्यूटन को आज भी उनकी उपलब्धियों के लिए याद और सम्मानित किया जाता है. आइए हम आपको उनका जीवन परिचय कराते हैं-

Isaac Newton Biography in English – (Click here)

आइजैक न्यूटन जीवन परिचय व न्यूटन के गति के नियम
आइजैक न्यूटन
  • नाम: आइजैक न्यूटन
  • जन्मतिथि: 25 दिसंबर 1642
  • राष्ट्रीयता: अंग्रेजी
  •  जन्म स्थान: वूलस्थ्रोप बाय कॉलस्तरबर्थ, लिंकनशायर,इंग्लैंड
  • माता पिता का नाम: आइजैक न्यूटन (1606-1642) हन्ना आइस्का न्यूटन स्मिथ (?-1679), बरनबास स्मिथ (सौतेले पिता)(1582-1653)
  • भाई-बहन: मैरी स्मिथ पिलकिंगटन (सौतेलीबहन)(1647-?) बेज़ामिन स्मिथ (सोतेला भाई)(1651-?)
  • मृत्यु तिथि: 20 मार्च 1727
  • दफन की जगह: वेस्टमिस्टर एब्बे, लंदन
  • अध्ययन का क्षेत्र: भौतिक, गणित
  • योगदान: न्यूटन के गति के नियम, विज्ञान का नियम: सार्व भौमिक गुरुत्वाकर्षण,”कैलकुलस” 
  • पुरस्कार और सम्मान: रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष,महारानी एनी द्वारा “नाईट-गुड” से सम्मानित.

 न्यूटन का प्रारंभिक जीवन व जन्म(childhood)

आइजैक न्यूटन का जन्म 25 सितंबर 1642 को वूलस्थ्रोप बाय कॉलस्तरबर्थ, लिंकनशायर, इंग्लैंड में हुआ था।न्यूटन के पिता का नाम आइजैक न्यूटन ही था, वह एक भेड़ों के किसान थे न्यूटन के पैदा होने से तीन महीने पहले ही उनकी मृत्यु हो चुकी थी। न्यूटन का जन्म नो महीने पहले ही हो गया था इसलिए न्यूटन बहुत कमजोर थे और उनके जीने की उम्मीद भी बहुत कम थी। जब न्यूटन 3 साल के थे तब उनकी मां हन्ना ने फिर से शादी की और उसके बाद वो चली गई थी। न्यूटन को बचपन में अकेला रहना पड़ा जिसकी वजह से   वह बहुत दुखी रहते थे। उनकी मां हन्ना ने द्दोबारा शादी की उसके बाद अपने नए पति बरनबास स्मिथ के साथ रहने चली गई नए पति ने उन्हें आइजैक को साथ लाने नही दिया। हन्ना ने अपने बेटे आइजैक को उनके नानी नानी के पास छोड़ के चली गई इसलिए आइजैक ने अपनी मां को बहुत कम देखा, नए पति के साथ हन्ना (न्यूटन की मां) के तीन और बच्चें हुए ।

न्यूटन की शिक्षा(Education)

आइजैक न्यूटन पड़ोस के स्थनीय स्कूल में पढ़े, वहां के शिक्षको के अनुसार न्यूटन बहुत आलसी थे और पढ़ाई में कम ध्यान देते थे।आइजैक की लिखाई में दुख और क्रोध झलकता था जिसका कारण मां द्वारा उसे छोड़ना हो सकता था।12 साल की उम्र में आइजैक ने ग्राथम के किंग्स स्कूल के पढ़ने लगे आइजैक ने वहां कई विषय सीखे लेकिन गणित नही सीखी क्योंकि गणित वहां पढ़ाई ही नही जाती थी।आइजैक को ग्रांथम स्कूल में पढ़ाई बहुत उबाऊ लगी।जब आइजैक 17साल के हुए उनकी मां ने उन्हें किंग्स स्कूल छोड़ने को कहा वे चाहती थी आइजैक अपने पिता जैसे भेड़ों का किसान बने।आइजैक मां के फैसले से खुश नहीं थे और एक किसान के रूप में वो सफल नही हुए अगले साल फिर आइजैक की मां ने उन्हें वापस किंग्स स्कूल भेज दिया। एक साल में आइजैक ट्रिनिटी कॉलेज जाने के लिए तैयार हुए जो कैंब्रिज विश्वविद्यालय का हिस्सा था विश्वविद्यालय के छात्र प्राचीन यूनानी, दार्शनिक,अरस्तू का अध्ययन करते थे,लेकिन न्यूटन नए-नए विचारों के बारे में पढ़ना चाहते थे अपने दम पर न्यूटन अपने युग (समय) के आधुनिक दर्शनिको और वैज्ञानिकों – डेकार्ट, कॉपरनिकस और गैलीलियो के विचारों का अध्ययन किया फिर आइजैक ने जनवरी 1665 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। न्यूटन के गणित के प्रोफ़ेसर उनकी बहुत प्रशंसा करते थे।1669 में उनके प्रोफ़ेसर में इस्तीफा दे दिया,उन्होंने अपना पद आइजैक को देने के लिए कहा जिसके बाद न्यूटन ट्रिनिटी कॉलेज में  गणित के प्रोफ़ेसर बन गए।

क्या तुम्हें पता है? किसी ने “आई”न्यूटन नाम किंग्स स्कूल की एक खिड़की पर खोदा (उकेरा) था. ऐसा माना जाता हैं की  आइजैक ने ही वो नक्काशी की थी।

न्यूटन एक अविष्कारक

आइजैक न्यूटन न केवल एक भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ थे। बल्कि एक अविष्कारक भी थे उनके कुछ अविष्कारों का उपयोग आज भी किया जाता हैं – जैसे की “रिफ्लेक्टर टेलीस्कोप” जो एक दर्पण का उपयोग करता था। दर्पण के उपयोग ने, घुमावदार लेंसो की तुलना में, टेलीस्कोप को बेहतर बनाया. न्यूटन की दूरबीन (टेलीस्कोप) विशेष रूप से तारों के समूहों को देखने के लिए बहुत अच्छी थी। उच्च गुणवत्ता वाले लेंस न्यूटन के लिए महत्वपूर्ण थे उन्होंने एक प्रयोग में दिखाया की अगर एक लेंस और एक कांच की प्लेट पर प्रकाश को एक निश्चित कोने पर प्रकाश को चमकाया जाए तो प्रकाश के रिंग्स (छल्ले) बनते हैं इन छालों यानी “न्यूटन रिंग्स” को आज भी लेंसो की सतही गुणवत्ता परखने के लिए उपयोग किया जाता हैं। न्यूटन ने एक सूत्र बनाया-लेंस समीकरण जो यह बताता है की कोई लेंस कितनी दूरी पर प्रकाश के केंद्रित करेगा। उस सूत्र का उपयोग दूरबीन, सुक्ष्यदर्शी, पढ़ने के चस्मे और लेंस के सभी उपकरण बनाने के काम में लाया जाता  हैं। न्यूटन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने “सेक्सटेंट” का वर्णन किया, इस उपकरण के बनने के कई साल बाद नाविक सूर्य और तारों की स्थितियों के आधार पर समुद्र में अपने स्थिति को पता कर सकते थे। दुनियां आइजैक न्यूटन की वैज्ञानिक और गणितीय प्रतिभा की ऋणी है, उन्होंने दुनिया को बहुमूल्य जानकारी दी और विज्ञान और गणित देखने के लोगों के नजरिये को हमेशा के लिए बदल दिया।

न्यूटन की गति के नियम

आइजैक न्यूटन सभवत: अपने गति के तीन नियमों के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है यह नियम बताते हैं कि जब वस्तुएं चलती है या जब वह स्थिर होती है तब क्या होता है उन्होंने “प्रिंसीपिया” में अपनी गति के नियम का वर्णन किया है न्यूटन  तीन नियम कुछ इस प्रकार है-

पहला नियम

न्यूटन के गति के पहला नियम को “जड़त्व का नियम“भी कहा जाता है जड़ता का मतलब होता है गति में परिवर्तन का प्रतिरोध साधारण भाषा में गति का यह नियम कहता है कोई भी वस्तु जो स्थिर हो या जो किसी सीधी रेखा में तेजी से आगे बढ़ रही हो तो तब तक उसी तरह रहेगी,जब तक कोई बाहरी बल उस पर कार्य नहीं करता है न्यूटन का मतलब था की जब तक कोई नया बल किसी वस्तु पर जोर नहीं लगाता या धक्का नहीं देता है, तब तक उस वस्तु की गति नही बदलेगी चीजे जो स्थिर है वो अभी भी स्थिर रहेंगी जो चीज एक सीधी रेखा में स्थिर गति से चल रही है, वो चीज वैसी ही चलती रहेंगी न्यूटन के पहले नियम के अनुसार -किसी साइकिल की गति तब तक नहीं बदलेंगी तब तक कि कोई बाहरी बल-जैसे ब्रेक उसे नहीं बदलता है।

दूसरा नियम 

न्यूटन के गति के दूसरे नियम को अक्सर “त्वरण का नियम” कहा जाता है उनके अनुसार किसी वस्तु की गति में परिवर्तन उस पर लागू बल की मात्रा, बल की दिशा और वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है यह नियम बताता है कि जब कोई चीज किसी दूसरी वस्तु को धक्का देती है या खींचती है तो फिर क्या होता है बल जितना बलशाली होगा वस्तु उतनी ही तेज या धीमी होगी किसी भारी वस्तु को तेज या भीमा करने के लिए एक मजबूत बल की आवश्यकता होगी उदाहरण के लिए कार की तुलना में साइकिल को रोकना आसान होगा इस नियम के अनुसार कोई भी वस्तु उसी दिशा में आगे बढ़ेगी किस दिशा में बल लग रहा होगा।

तीसरा नियम 

न्यूटन का गति का तीसरा नियम क्रिया और प्रतिक्रिया (एक्शन-रिएक्शन) का नियम है इस नियम के अनुसार -प्रत्येक क्रिया की एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है न्यूटन ने समझाया कि जब कोई बल किसी वस्तु को धकेलता है तो वह वस्तु बल को वितरित दिशा में पीछे धकेलती है इस पीछे धकेलने वाले बल को प्रतिक्रिया बल रिएक्शन कहा जाता है-यह नियम समझाता है कि हम पानी को नाव में क्यों चला पाते हैं पानी भी चप्पू को उतने ही जोर से वापस धकेलता है जितने जोर से चप्पू, पानी को धकेलता है जिससे नाव आगे चलती है नियम यह भी समझता है की गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव से कुर्सी फर्श से क्यों नहीं टकराती है फर्श भी गुरुत्वाकर्षण के बल को ऑफसेट करने के लिए उसे पीछे की ओर धकेलता है जब आप गेंद को बल्ले से मारते हैं तब बल्ला तो गेंद को धकेलता ही हैं लेकिन गेंद भी बल्ले को धकेलती है।

न्यूटन के पुरस्कर और उपलब्धियां

  • 1696 में न्यूटन को रॉयल मिंट(टकसाल) जहां ब्रिटिश सिक्के बनते थे,का प्रभारी बनाया गया उनका काम पुराने हस्त निर्मित सिक्कों को अब मशीनों द्वारा बनाना था| न्यूटन का काम नकली सिक्के बनाने वाले चोरों को भी पकड़ना था| 1705 टकसाल में न्यूटन की सेवा के सम्मान में इंग्लैड की महारानी ऐनी ने “नाईट” का खिताब दिया तब से वो सर आइजैक न्यूटन बन गए।
  • 1703 में रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष बने रॉयल सोसाइटी वैज्ञानिक अनुसंधान में उत्कृष्टता को बढ़ावा देती थी।

न्यूटन की मृत्यु

आइजैक न्यूटन का 20 मार्च 1727 को 84 साल की उम्र में निधन हुआ उन्हे लंदन के वेस्टमिस्टर एब्बे में दफनाया गया जहां कई वह तो महत्वपूर्ण ब्रिटिश राजा महाराजाओं को दफनाया गया था।

आइजैक न्यूटन का कार्य 

  • सन् 1661कैंब्रिज विश्वविद्यालय में ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ाई की।
  • सन् 1655 कैंब्रिज विश्वविद्यालय में गुरुत्वाकर्षण, कैलकुलस और प्रकाश पर शोध शुरु की।
  • सन् 1668 कैंब्रिज विश्वविद्यालय मास्टर डिग्री प्राप्त की।
  • सन् 1669 में गणित के प्रोफेसर बने।
  • सन् 1672 रॉयल सोसाइटी के सदस्य बने।
  • सन् 1679 मां की मृत्यु
  • सन् 1684 कैलकुलस का काम प्रकाशित हुआ।
  • सन् 1687 प्रिंसिपिया प्रकाशित हुआ।
  • सन् 1696 रॉयल मिंट (टकसाल) के प्रभारी बने।
  • सन् 1703 रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष बने।
  • सन् 1705 रानी ऐनी द्वारा “नाइट हुड” सम्मान।

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