You are currently viewing चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय , उनके द्वारा किये गए महान  कार्य व बलिदान।

चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय , उनके द्वारा किये गए महान कार्य व बलिदान।

आजाद की बाल्यावस्था/प्रारम्भिक जीवन-

चन्द्रशेखर आजाद का रोमांचक जीवन उनकी 13 साल की उम्र से शुरु हुआ था। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 मे भावरा तहसील अलीराजपुर रियासत में हुआ था। चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय , उनके द्वारा किये गए महान कार्य व बलिदान। उनके पिता -सीताराम जी तथा माता जगरानी देवी थी। आजाद के माता पिता ने अधिकतर जीवन अलीराजपुर रियासत मे ही बिताया था। आजाद को उन्होंने भावरा की तहसील के प्राथमिक स्कूल मे भरती करा दिया था। लेकिन वह बहुत ही थोड़े दिन उस स्कूल मे पढ़ पाए थे, आजाद की माता जगरानी देवी उनके पिता सीताराम तिवारी की तीसरी पत्नी थी।

Chandrashekhar Azad biography English- “Click here

चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय , उनके द्वारा किये गए महान  कार्य व बलिदान।
चंद्रशेखर आज़ाद (पंडित जी)

चंद्रशेखर आज़ाद (भारतीय स्वतंत्रता सेनानी)

  • जन्म- 23 जुलाई 1906 भावरा तहसील ,अलीराजपुर जिला
  • (बदरका, उन्नाव उत्तर प्रदेश – उनके पूर्वज का गांव)
  • मृत्यु- 27 फरवरी 1931 (उम्र 24, इलाहबाद) 
  • माता पिता का नाम–   जगरानी देवी  व पिता का नाम सीताराम तिवारी 
  • मृत्यु का कारण- आत्महत्या बंदूक से
  • दूसरा नाम – बलराज , आजाद, पंडित जी
  • पेशा – क्रांतिकारी

आजाद की बम्बई की यात्रा-

13 साल की उम्र मे एक दिन आजाद उस राज्य के एक बाग मे से जिसमे उनके पिता सुप्रिटेंडेंट थे, वहां से आम तोड़कर ले आए थे, तो इस वजह से दोनों पिता और पुत्र में झगड़ा हो गया, सीताराम जी बहुत गुस्से में थे, उनका कहना था कि किसी की आज्ञा लिए बिना तुमने वहां से आम तोड़ लाए हो, इन्हें वापस करके और उनसे माफ़ी मांग कर आओ |आजाद नहीं माने तो पिता ने उन्हे घर से बाहर निकाल दिया और कहा वह तब तक अंदर ना आए जब तक आम वापस न कर आओ। आजाद जी पास ही गाँव मे अपने चचेरे भाई मनोहरलाल तिवारी के घर चले गए थे। लेकिन वहां अपने भाई और भाभी के बीच विवाद की बातें चन्द्रशेखर ने सुनी, वह कह रही थी की इन्हे सुबह अपने घर छोड़ आना, आजाद ने उसी समय  सोच लिया था की वह अब यहां नही ठहरेंगे। आजाद सुबह 4 बजे जब सब सो रहे थे जब अपने चचेरे भाई का घर छोड़कर वहां से चले । वह दोहद की और चले, वह थक जाते तो थोड़ा विश्राम करते और फिरसे चलने लगते. पास में पैसे नही थे तो भूखे ही चले. और 24 घण्टे के अंदर लगभग 40 मील की यात्रा की और वह दोहद स्टेशन पर पहुंचे. वहां जो रेलगाड़ी खड़ी थी उसी के एक डिब्बे में जाकर थके हारे सो गए थे। जब आंख खुली तो देखा एक बड़ा सा रेल्वे स्टेशन था. वह रेलगाड़ी से बाहर निकले और पूछा,तब उन्हें पता चला कि वह बम्बई आ चुके थे। वह शहर की और गए, वहां मालगोदाम के पास एक होटल देखा वह वहीं काम करने लगे, दुकानदार उन्हें दोनों समय का खाना तथा रात में दुकान के बाहर सोने दे देता था। कुछ समय बाद आजाद मजदूरों के साथ मालगोदाम में काम करने लगे और उन्हीं के साथ उनकी कोठरी मे सोने लगे। वह कुछ आने(पैसे)बचाकर सिनेमा देख लेते थे। उन्होंने एक नया कुर्ता व एक धोती भी खरीद ली थी।आजाद 15 साल की उम्र मे बनारस जा चुके थे. आजाद जी ने बनारस पहुंच कर किसी हिंदी स्कूल मे पड़ाना शुरु कर दिया था। उन्होंने अखाड़े में कसरत करना भी शुरू किया. थोड़े ही दिनों में उनका शरीर हुष्ट-पुष्ट हो गया, चेहरा गोल तथा शरीर गठीला हो गया। और वह बलवान हो गए. वह 15 वर्ष की उम्र में जेल गए, कारण था महात्मा गॉंधी द्वारा चलाया गया आंदोलन. कई लोग महात्मा गांधी की जय के नारे लगाते हुए जा रहे थे, आजाद जी भी हाथ मे भंडा ले, महात्मा गांधी की जय के नारे लगाते हुए आंदोलन में कुद पड़े। सभी को पकड़ लिया गया, अदालत मे पेश किया और उनको सजा दी गई।

चन्द्रशेखर आज़ाद के जीवन की विशेष घटनाएं-

1. काकोरी डकैती – 6 अगस्त 1925 को काकोरी डकैती हुई जिसमें कई क्रांतिकारी शामिल थे। लेकिन एक एक्शन के समय केवल तीन सदस्य ऐसे थे, जो शरीर से हुष्ट- पुष्ट तथा बलवान थे. वे थे,बिस्मिल,अशफाक अल्लाह और

आजाद जी। काकोरी के पास लूटी गई ट्रेन ने सरकार को चोकन्ना कर दिया था। क्योकि लूटने वाले साधारण डाकू नही थे। अपितु वे पढ़े लिखे क्रांतिकारी थे।

2. दिल्ली असेम्बली बम कांड – मार्च  1929 में आगरा में दल की विशेष सभा हुई. उन दिनों असेंबली में सरकार की ओर से दो बिल रखे गए थे.एक था औद्योगिक विवाद कानून (Trade Disputes Act) और दूसरा सार्वजनिक सुरक्षा कानून(Public Safety bill). इन दोनों कानूनों का अभिप्राय था जनता की स्वतंत्रता की भावना को कुचलना और उसके असंतोष को दबाना. इन दोनों कानूनों का विरोध लगभग पूरा भारत वर्ष कर रहा था.असेंबली में सरकारी अफसर और उनके साथियों को छोड़ सभी सदस्य उनके विरुद्ध थे.आजाद ने सरकारी असेंबली में बम फोड़ने का निश्चय किया, जिसमें भगत सिंह और दत्त आगे आए. 8 अप्रैल 1929 को सरकारी असेंबली में भगत सिंह ने सरकारी ऑफिसरो के समीप बम फेंका और दोनों जोर से चिल्लाए “इंकलाब जिंदाबाद“,”साम्राज्यवाद का नाश हो”, दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ“.बम के फटते ही सरकारी ऑफिसर मेंजो के नीचे छिप गए. भगत सिंह और दत्त पकड़े गए, दोनों को आजीवन कारावास दे दिया गया.

कानपुर मे आगमन

चन्द्रशेखर आज़ाद झांसी से कानपुर गए थे वहां उनका परिचय दल के अन्य सदस्यों से कराया गया। उन सदस्यों मे थे -विजय कुमार सिन्हा, बटुकेश्वर दत्त, अजय घोष, सुरेंद्र पांडे, रामदुलारे त्रिवेदी, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, सदगुरुदयाल अवस्थी, वीरभद्र तिवारी और गणेशशंकर विद्यार्थी से भी कराया गया। यहीं वह भगतसिंह और सुखदेव से भी मिले थे। उनका कार्यक्षेत्र अब यही नगर हो गया था। काकोरी के पिछड़े हुए सदस्य भी फिर मिल गए थे। वह दल क्षेत्र को बड़ते गए. कानपुर में ही नहीं, बल्कि ग्वालियर, झांसी, सहारनपुर, देहरादून, दिल्ली, इलाहाबाद आदि सभी बड़े-बड़े नगरों में नए-नए सदस्य भरती किए जा रहे थे। इन्ही दिनों लाहौर मे नौजवान भारत सभा भी जोर पकड़ रही थी। उसमे भगवतीचरण बोहरा, धनवंतरी, भगतसिंह, सुखदेव, यशपाल, दुर्गादास खन्ना,  रणवीर आदि खुले तौर पर व्याख्यानो द्वारा लोगों को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भड़काते थे।

चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय , उनके द्वारा किये गए महान  कार्य व बलिदान।
चंद्रशेखर आज़ाद

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (1925)

सन 1925 मे चंद्रशेखर के अनेक परिश्रम से और भगवती चरण बोहरा, भगतसिंह, सुखदेव, धनवंतरी, यशपाल(पंजाब), 

शिवदेव वर्मा, जयदेव कपूर, डी. वी. तिलग ( म. प्र.), काशीराम(दिल्ली), कुंदनलाल (राजस्थान) आदि की सहायता से दल का संगठन सुचारू रूप से लगभग सारे ही उत्तर भारत मे ही हो गया था। इसका श्रेय केवल चंद्रशेखर आजाद को ही था। अब तक इस दल का नाम हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी था। लेकिन समय बदल रहा था और संगठन भी आर्मी से बहुत आगे बड़ गया था। सन् 1925 मे सितम्बर मे दल की बैठक दोहली मे हुई, इस बैठक मे संस्था का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन तथा आर्मी रखा गया, और आजाद को कमांडर इन- चीफ नियुक्त किया गया.

महात्मा गॉंधी और क्रांतिकारी दल

महात्मा गांधी ने अपने साप्ताहिक पत्र “यंग इंडिया” में एक लेख बम पार्टी (cut of the bomb) पर लिखा था. जिसमें उन्होंने क्रांतिकारियों को बहुत बुरा भला कहा था और उनका बुजदिल, गुमराह आदि नामों से वर्णन किया था.आजाद को उस लेख से बहुत दुख हुआ था.वह गांधीजी के अहिंसा मार्ग से स्वाधीनता प्राप्त होने में विश्वास नहीं करते थे,परंतु वह गांधी जी की और सद्भाव से देखते थे. वह अधिकतर दल के सदस्यों से कहा करते थे कि दल के एक्शन कांग्रेस के कार्य के पूरक होंगे, विरुद्ध नहीं होंगे.आखिर दोनों ही तो स्वाधीनता की लड़ाई लड़ रहे थे.

कॉन्ग्रेस का जन्म 1885 में हो चुका था,  परंतु 1918 तक की कांग्रेस की गतिविधि तथा कार्य कुछ और ही रूप रखते थे. बालगंगाधर तिलक भी उस समय कांग्रेस के नेताओं में से ही थे, परंतु वह तो उग्र नीति का प्रचार करते थे, उन्होंने ही “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” का नारा देश को दिया था. महात्मा गांधी को दूसरे विश्व युद्ध के आरंभ में ज्ञात हो गया था कि जिन उच्च कोटि के नेताओं को वह समझते थे उन्हीं ने उनका साथ छोड़ दिया, परंतु क्रांतिकारी तो अधिक सत्यवादी थे, उन्होंने साथ दिया और वह तो डंके की चोट पर कहते थे, कि वह हिंसा के मार्ग में विश्वास करते हैं.इसी विश्वास को उन्होंने महात्मा गांधी के लेख cut of the bomb के उत्तर philosophy of the bomb में दर्शाया.

आजाद की मृत्यु (1931) 

27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेज पुलिस ने उन्हें घेर लिया था,  और उन पर गोलियां चलाने लगे थे.आजाद जी भी अकेले ही हाथ में पिस्तौल लेकर लड़ने लगे.उन पर चारों तरफ से गोलियां चल रही थी, ऐसे ही गोलियां चलते हुए लगभग 17 -18 मिनट हो चुके थे. आजाद जी के पास में मेगजीन समाप्त हो गई थी, जब उन्होंने देखा कि बस एक ही गोली बची है तो अपने दृढ़ निश्चय के अनुसार, कि वह कभी जीते जी पुलिस के हाथों नहीं पड़ेंगे. उन्होंने अपनी अंतिम गोली स्वयं अपनी कनपटी पर लगाकर छोड़ दी. उनकी पवित्र तथा महान आत्मा अपने शरीर को छोड़कर प्रकृति के अंशों में जा मिली. आजाद का यह 10 वर्ष का जीवन जिसमें उन्होंने ब्रिटिश सरकार की जड़ों को हिला कर रख दिया था, 10 वर्ष जिनमें 1 दिन भी उन्होंने अपने लिए न जीकर देश के लिए अर्पण कर दिए थे.

अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी की शहादत के 26 वर्षों बाद 15 अगस्त सन 1947 को हिंदुस्तान की आजादी का उनका सपना पूरा तो हो गया, परंतु वह उसे जीते जी देख ना सके. भारत सरकार ने 1988 में महान बलिदानी आजाद की स्मृति में उनके नाम से डाक टिकट जारी किया.

इन्हें भी देखें-

  • चंद्रशेखर आज़ाद जी के बारे में और अधिक जानकारी- “Click here
  • महात्मा गाँधी का जीवन परिचय -“Click here

Leave a Reply