डॉ.भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को दलितों का महान नेता कहा जाता है। अंबेडकर का व्यक्तित्व बहु आयामी था।वह वर्तमान शताब्दी के एक महान चिंतक, विचारक,समाज सुधारक,राजनेता और न्याय शास्त्री माने जाते हैं। डॉ.भीमराव अंबेडकर जीवन परिचय Dr. Bhimrao ambedkar biography in hindi . उन्होंने अपना पूरा जीवन मानव अधिकार सामाजिक न्याय और दलितों के उद्धार के लिए समर्पित किया। अपने प्रिय जनों तथा अनुयायियों मे अंबेडकर “बाबासाहेब” के नाम से लोकप्रिय रहे,अंबेडकर जी को अपने जीवन में कई प्रकार की मुसीबतों और दुखों का सामना करना पड़ा आइए हम आपको उनके जीवन से अवगत करते है –
- पूरा नाम-डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव रामजी अंबेडकर
- बचपन का नाम- भीमा,भिवा
- जन्म –14 अप्रैल 1891 मध्य प्रदेश के महू नगर
- राष्ट्रीयता –भारतीय
- पिता का नाम –रामजी सकपाल
- माता का नाम –भीमाबाई सकपाल
- पितामह (दादाजी) का नाम- मालोजी सकपाल
- भाई बहन के नाम – वालाराम (बड़े भाई),आनंदराव (छोटे भाई) मंजुली और तुलसी (दो बहनें)
- पत्नी का नाम – रामाबाई (पहली पत्नी)1906-1938, सविता(दूसरी पत्नी)1948-2003
- बच्चों का नाम – यशवंत, राजरत्न (जिसकी जन्म के कुछ समय बाद मौत हो गई)
- महत्वपूर्ण कार्य- भारतीय संविधान के जनक
- मृत्यु- 6 दिसम्बर 1956 दिल्ली (निवास स्थल)
डॉ. भीमाराव का बचपन-
Dr. Bhimrao ambedkar biography in Hindi जन्म से ही अछूत होने के कारण भीमराव को बचपन में ही सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा। कक्षा में उन्हें पीछे सबसे अलग बैठाया जाता था बैठने के लिए चटाई तक अपनी लानी पड़ती थी। अंबेडकर बाकी बच्चों को छूना ले इसलिए उन्हें कक्षा शुरू होने के कुछ देर बाद आए और खत्म होने के समय से पहले ही चले जाएं। अछूत होने के कारण स्कूल में पानी तक पीने नहीं दिया जाता था। शिक्षक उनकी कॉपी तक नहीं छूते थे, उनके बाल तक काटने के लिए कोई तैयार नहीं था।इसलिए उनकी बहन को ही उनके बाल काटने पड़ते थे। भीमराव ना तो स्कूल के बच्चों के साथ बैठ सकते थे ना उनसे मेलजोल बढ़ा सकते थे।भीमराव बचपन से ही स्वाभिमानी थे इसलिए सब बातों का भीमराव पर गहरा प्रभाव पड़ा और इसी समय भीमराव ने निश्चय किया कि वह अछूतों को दासता से मुक्त करवाएंगे और उनके हित के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देंगे।
डॉ. भीमाराव की शिक्षा –
डॉ. भीमाराव को सबसे पहले उनके पिताजी ने मराठा हाई स्कूल में दाखिला दिलाया। भीमराव अंबेडकर की हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज बम्बई में हुई उसके बाद महाराजा बड़ौदा की छात्रवृत्ति स्कॉलरशिप की मदद से उन्होंने सन 1912 में अंग्रेजी और फारसी विषयों के साथ बी.ए की परीक्षा पास की और बाद में बड़ौदा में नौकरी करने लगे लेकिन जाति अपमान के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। इसी समय उनके पिता राम जी की मृत्यु हो गई और आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा। पढ़ाई में रुचि देखकर बड़ौदा के नरेश सयाजीराव गायकवाड ने उन्हें छात्रवृत्ति देकर 21 जुलाई 1913 अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ने भेजा वहां से अंबेडकर ने सन 1915 में एम.ए और सन 1917 में पीएचडी की उपाधि हासिल की।
डॉ भीमराव का परिवार-
डॉक्टर अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू नगर में समाज की अछूत समझी जाने वाली महार जाति में हुआ था अंबेडकर के पिताजी रामजी सकपाल सेना के सूबेदार थे जो 14 साल तक सैनिक स्कूल में मुख्य अध्यापक रहे सेना से निकल जाने के बाद पर महाराष्ट्र के सतारा नगर में रहने लगे जब भीमराव मात्र 6 साल के थे तभी उनकी माता भीमाबाई का देहांत हो गया इसलिए वे माता का सुख जिंदगी भर ना पा सके। अंबेडकर अपने माता पिता की 14 वी संतान थे इसलिए भीमराव को अपने माता पिता का चौदहवा रत्न कहा जाता था। भीमराव के तेरहा भाई बहनों में से मात्र 5 ही जिंदा थे उनके नाम वालाराम (बड़े भाई),आनंदराव (छोटे भाई) मंजुली और तुलसी (दो बहनें) भीमराव सबसे छोटे होने के कारण अंबेडकर परिवार में सब के लाडले थे। सन 1906 में भीमराव का विवाह रामाबाई (पहली पत्नी) से हुआ था रामाबाई के गुजर जाने के बाद भीमराव ने फिर शादी की जिसका नाम सविता देवी था। भीमराव की पांच संताने थी लेकिन उन मे से यशवंत ही जिंदा रहे,राजरत्न (जिसकी जन्म के कुछ समय बाद मौत हो गई)।
डॉ भीमराव की उपलब्धियां और पुरस्कार-
भीमराव भारत के गौरव हैं भीमराव द्वारा लिखा गया भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जो उन्होने 1947 में लिखा था।डॉ.भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय
- सन 1956 में बोधितत्व
- सन 1990 में भारत रत्न (Bharat Ratna Ribbon) से सम्मानित
- सन 2004 में पहले कोलंबियन अहेड ऑफ दआर टाइम
- सन 2012 में द ग्रेटेस्ट इंडियन पुरस्कर से सम्मानित
डॉ भीमराव द्वारा लिखित पुस्तकें –
भीमराव अंबेडकर समाज सुधारक होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे।लिखने का शौक होने के कारण उन्होंने कहीं पुस्तके लिखी।अंबेडकर द्वारा लिखी गई कुछ पुस्तकों के नाम नीचे दिए गए हैं-
- एनिहीलेशन ऑफ कॉस्ट,थैकर एण्ड कंपनी बम्बई(1934)
- रानाडे गांधी एण्ड जिन्ना,थैकर बम्बई (1943)
- गांधी एण्ड द इमेंसीपेशन ऑफ द एंडचेविल्स, थैकर बम्बई (1943)
- पाकिस्तान ऑर द पार्टीशन ऑफ इंडिया थैकर बम्बई(1946)
- कांग्रेस एण्ड गांधी हेब डन टू द एंडचेविल्स, थैकर बम्बई (1946)
- स्टेटस एण्ड मायनाट्रिज,थैकर बम्बई (1947)
- हिस्ट्री ऑफ़ इन्डियन करेंसी एंड बैंकिंग,थैकर बम्बई (1946)
- महाराष्ट्र इज लिग्वस्टिक स्टेट, कृष्णा प्रेस बम्बई (1948)
- द बुद्धा एण्ड हिस धर्म, सिद्धार्थ पब्लिकेशन बम्बई (1957)
- फेडरेशन वर्सेस फ्रीडम , भीम पत्रिका प्रकाशन जलंदर (1970)
डॉ भीमराव द्वारा छुआछूत के खिलाफ में लड़ाई –
डॉ भीमराव को छुआछूत की पीड़ा बचपन से ही झेलनी पड़ी थी।जाति प्रथा ऊंच-नीच का भाव भीमराव को जीवन भर झेलना पड़ा इसलिए भीमराव अपने द्वारा दासता प्रथा और छुआछूत से अपने समुदाय के लोगों को मुक्ति दिलाना चाहते थे ताकि वह लोग इस प्रथा से मुक्त हो जाएं और साधारण इंसान जैसा जीवन जिए डॉक्टर अंबेडकर ने सन 1920 में “मूकनायक” नामक सप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया ताकि दलित लोगों अपने अधिकार पढ़ सकें।
इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद डॉ भीमराव ने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश दलितों आछूतों और बहिष्कृत में शिक्षा के प्रसार द्वारा उनमें नवचेतना जागृत की जाए सन 1927 में उन्होंने आछूतों के लिए एक सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व दिया। जिस केस को को जीत गए।
डॉ भीमराव का भारतीय संविधान में विशेष योगदान-
भारत के संविधान में डॉक्टर अंबेडकर का विशेष योगदान रहा।उनकी विद्वानता,कानूनी ज्ञान तथा दूरदर्शिता से प्रभावित होकर संविधान निर्माण समिति 27अगस्त 1947 को उन्हें भारत का संविधान बनाने वाली प्रारूप समिति का अध्ययन मनोनीत किया। अंबेडकर की पहल के फल स्वरुप संविधान में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि सभी प्रकार की छुआछूत समाप्त की जाए और छुआछूत के आधार पर किसी आयोग ठहराना अपराध है। उन्होंने संविधान के आमुख (preamble) में स्वतंत्रता धर्मनिरपेक्षता और न्याय का उल्लेख कर भारतीय गणतंत्र में वास्तविक लोकतंत्रआत्मक शासन पद्धति लागू की। भारत के संविधान निर्माण में डॉक्टर भीमराव के योगदान और उनके असाधारण कानूनी ज्ञान से प्रभावित होकर पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल में विधि मंत्री नियुक्त किया गया था। छुआछूत के चलते कुछ समय बाद अंबेडकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर की डिग्रीया
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पास 32 डिग्रियां थी। उन्होंने सन 1912 में अंग्रेजी और फारसी विषयों के साथ बी.ए की परीक्षा पास की बाद में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में सन 1915 में अंबेडकर ने m.a. पास किया फिर सन 1917 में पीएचडी की उपाधि हासिल की थी। 32 डिग्रियों के साथ-साथ अंबेडकर को सभी भाषाओं का ज्ञान था हिंदी,उर्दू,र्अंग्रेजी, संस्कृत,मराठी, जर्मनी,फारसी।
डॉ भीमराव की मृत्यु –
जून 1956 (मृत्यु से 6 महीने पहले) से लेकर डॉ भीमराव अपने दिल्ली निवास स्थान 26 अलीपुर रोड में ही अधिकतर रहे। जून-जुलाई में उनकी टांगें इतनी कमजोर हो गई थी कि वे उनके भारी शरीर को उठाने में असमर्थ हो गई।6 दिसंबर 1956 में मधुमेह और शारीरिक कमजोरी के चलते उनकी मृत्यु हो गई 7 दिसंबर 1956 को हवाई जहाज से उनके पार्थिव शरीर को मुंबई ले जाया गया वही उनका अंतिम संस्कार किया। तभी से उनके जन्मदिन 14 अप्रैल 1891 को अंबेडकर जयंती (राष्ट्रीय अवकाश) के रूप में मनाया जाता है।
डॉ भीमराव अंबेडकर के प्रमुख विचार-
स्थापना दिवस – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) (1 अप्रैल)
(1 अप्रैल 1935) डीआर द्वारा प्रस्तुत दिशानिर्देशों, कार्यशैली और दृष्टिकोण के अनुसार आरबीआई की अवधारणा की गई थी। इस पुस्तक में भीमराव अंबेडकर। इसका शीर्षक था “रुपये की समस्या इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान” और वें हिल्टन यंग कमीशन को प्रस्तुत किया गया। बैंक की स्थापना भारतीय मुद्रा और वित्त पर 1926 के रॉयल कमीशन की सिफारिशों के आधार पर की गई थी, जिसे हिल्टन-यंग कमीशन के नाम से भी जाना जाता है। यह डॉ. अम्बेडकर के अथक प्रयासों के कारण ही भारतीय रिजर्व बैंक अस्तित्व में आया। इस दिन हम अर्थशास्त्र के उस्ताद और मानवाधिकारों के चैंपियन को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने आज के आधुनिक भारत के दृष्टिकोण को आकार दिया है।
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इन्हें भी देखें –
- अम्बेडकर पुस्तक pdf हिंदी में डाउनलोड करें “Click here“
- रानी लक्ष्मी बाई जीवन परिचय- “Click here“
- चन्द्र शेखर आज़ाद जीवन परिचय- “Click here“