मोरारजी देसाई
मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के बुलसर जिले के भदेली नामक गांव में हुआ था. मोरारजी देसाई का जीवन परिचय (भारत देश के चौथे प्रधानमंत्री) . उनके पिता रणछोड़ जी देसाई भावनगर में एक स्कूल अध्यापक थे, और बाद में मानसिक अवसाद से ग्रस्त रहने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली थी. मोरारजी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सौराष्ट्र के “द कुंडला स्कूल” में ग्रहण की, और बाद में वलसाड के बाई अव हाई स्कूल में दाखिला करवा लिया. मुंबई के विल्सन कॉलेज में स्नातक करने के बाद वह गुजरात सिविल सेवा में शामिल हो गए थे.
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जन्म – 29 फरवरी 1896
स्थान – भदेली गाँव, जिला बुलसर, गुजरात
मोरारजी देसाई – देश के चौथे प्रधानमंत्री (भारत )
मृत्यु – 10 अप्रैल 1995
पिता – रणछोड़ देसाई
मोराराजी देसाई भारत के स्वाधीनता सेनानी और देश के चौथे प्रधानमंत्री थे. वह पहले गैर कांग्रेसी प्रथम प्रधानमंत्री थे. 81 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले मोराराजी एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान- ए -पाकिस्तान से सम्मानित किया गया है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मोरारजी कई बार जेल गए. सन 1931 में वह गुजरात प्रदेश की कांग्रेस कमेटी के सचिव बने, और फिर अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की शाखा स्थापित कर उसके अध्यक्ष बन गए. अपने नेतृत्व कौशल से वह स्वतंत्रता सेनानियों के चहेते और गुजरात कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता बन गए थे.
मोरारजी का राजनैतिक सफ़र
नियति का संयोग ऐसा हुआ कि शास्त्री जी के अकस्मात मृत्यु के बाद महज 18 महीने के बाद ही प्रधानमंत्री की कुर्सी एक बार फिर खाली हो गई . शास्त्री जी की मृत्यु के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के.कामराज ने पंडित नेहरु की बेटी इंदिरा गांधी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सुझाया, पर मोरारजी देसाई ने भी प्रधानमंत्री पद के लिए उन्होंने स्वयं का नाम प्रस्तावित कर दिया था. कांग्रेस संसदीय पार्टी द्वारा मतदान के माध्यम से इस गतिरोध को सुलझाया गया और इंदिरा गांधी विजयी हुई. इसके बाद मोरारजी इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बने. सन 1969 में जब इंदिरा ने उनसे वित्त मंत्रालय वापस ले लिया, तब उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कांग्रेस का विभाजन दो खंडों में हो गया, एक के नेता मोरारजी थे और दूसरे की इंदिरा गांधी.
सन 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी को अपार सफलता मिली, जबकि मोरारजी (जो खुद चुनाव जीत गए थे) का गुट कुछ खास नहीं कर सका. मोरारजी देसाई ने पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन से रिश्ते सुधारने की दिशा में पहल किया था. उन्होंने चीन के साथ राजनयिक संबंधों को बहाल की और इंदिरा गांधी सरकार द्वारा किए गए बहुत सारे संवैधानिक संशोधनों को उनके मूल रूप में वापस कर दिया.
कुछ अन्य बातें
चुनाव प्रचार के दौरान मोरारजी देसाई ने भारत के खुफिया एजेंसी “रॉ” को बंद करने की बात कही थी. और जब वह प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने सचमुच एजेंसी का आकार और बजट बहुत कम कर दिया था. प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद मोरारजी देसाई ने 83 साल की उम्र में राजनीति से संयास ले लिया, और मुंबई में रहने लगे.
मोरारजी देसाई की मृत्यु
10 अप्रैल सन 1995 को 99 वर्ष की उम्र में मोरारजी देसाई का निधन हो गया. कांग्रेस के बेहद करीबी लोगों में से एक मोरारजी देसाई को पार्टी छोड़ने के बाद 81 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला था. और 2 साल तक प्रधानमंत्री बने रहने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. मोरारजी देसाई भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्हें भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा है.
इन्हें भी देखें-
- मोरारजी देसाई के बारे में अधिक जानने के लिए- “Click here“
- शेर बहादुर देउबा जीवन – “Click here”