अजंता की गुफा का परिचय – Introduction to Ajanta Caves
आज हम आपको यहां पर अजंता की गुफा चित्रकला के बारे में बताने जा रहे हैं. Ajanta caves in hindi – अजंता महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले में स्थित है. अजंता तक पहुंचाने के लिए जलगांव से फरादपुर ग्राम होते हुए जाना पड़ता है, और यहीं पर अजंता से दो मिल की दूरी पर ‘अजिंठा‘ नाम का एक गांव है जिसका मूल उच्चारण “अजिष्ठा” है. इस गांव के नाम पर ही गुफाओं का नाम “अजंता” पड़ा है. यह गुफाएं सेंट्रल रेलवे के स्टेशन औरंगाबाद से लगभग 102 किलोमीटर पर स्थित है. हम आपको अजंता की गुफाएं तथा चित्रकला से परिचित कराते हैं –
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Table of Contents
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अजंता की खोज
यहां हम जानेंगे, मुगलकाल के कुछ ऐसे लेख प्राप्त होते हैं जिनसे पता चलता है कि मुगल सेनाए दक्षिण की ओर अजंता की घाटी से होकर जाती थी. लेकिन सैकड़ो वर्षों तक जंगलों में छिपी यह अज्ञात गुफाएं जंगली पशुओं, चमगादड़ों आदि पक्षियों का घर बनी रही, और 1819 ईस्वी में यूरोप के लोगों को सर्वप्रथम इन गुफाओं का ज्ञान हुआ. उनको यह ज्ञान मद्रास रेजीमेंट के कुछ सैनिकों से हुआ, जो इस घाटी में विद्रोहियों को दबाने के लिए गए थे. तभी एक सैनिक लोमड़ी का पीछा करते हुए अजंता की एक गुफा में पहुंचा और उसने चित्र देखें. इन चित्रों की सूचना उसने अपने कमांडेंट को दी. यह सूचना पाकर एक अंग्रेज कंपनी अधिकारी “विलियम एस्क्रिन” ने एक लेख तैयार किया और उसे “बॉम्बे लिटरेरी सोसायटी” में पढ़ा. इसके बाद धीरे-धीरे लोगों को और पता चला गया.
अजंता की गुफाओं की चित्रकारी
अजंता की गुफाओं में आरंभिक चित्रकार के उदाहरण नवी गुफा तथा दसवीं गुफा में प्राप्त है. इन गुफाओं के चित्र बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. यह चित्र सांची तथा भरहुत की प्रस्तर शिल्प शैली से विशेष समानता रखते हैं. इन चित्रों के समय का अनुमान सरलता से लगाया जा सकता है. अजंता की गुफाओं के चित्रों में बुद्ध के विभिन्न चित्र और पवित्र धर्म चिन्ह सम्मिलित है. साथ ही बुद्ध की जन्म जन्मांतर की जीवन कथाएं तथा जातक कथाएं इन गुफाओं की चित्रकारी का प्रधान विषय है. बुद्ध की कथाओं का चित्रकार ने बहुत ही सुंदर तरीके से अंकन किया है. अजंता के भित्ति चित्रण में गिने चुने खनिज रंगों का ही प्रयोग किया जाता है ताकि वह चुने के छारात्मक प्रभाव से अपने अस्तित्व को नया खो बैठे. अजंता तथा बाघ में जिन रंगों का स्वतंत्रता से प्रयोग किया गया है उनमें सफेद, लाल, पीले, नीले और विभिन्न भूरे रंग है.
पहली गुफा के चित्र
इस गुफा में कई सुंदर कथाओं के दृश्यों का अंकन मिलता है. छत पर सुंदर अलंकरण चित्रित किए गए हैं. इस गुफा में शिविजातक की कथा विरहनी, नागराज की सभा का दृश्य, शंखपाल जातक, मारविजय तथा पुलकेशिन की सभा का दृश्य विशेष उल्लेखनीय है. शिविजातक की कथा का रूप पौराणिक है. इस चित्र में चित्रित चेहरे लंबे तथा आलेखन मध्यकालीन है, और चित्र की लिखाई मोटी मोटी रेखाओं से की गई है जिसमें हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि यह गुफा बाद में चित्रित की गई होगी.
दूसरी गुफा के चित्र
इस गुफा में जातक कथाओं तथा सभाओ के चित्र सुंदर है. दाहिनी और एक अज्ञात सभा तथा महाहंस जातक का चित्र है. इस गुफा की बाई भित्ती पर ‘माया का स्वप्न’, ‘तृषित- स्वर्ग’ तथा बुद्ध जन्म के चित्र है. माया का स्वप्न चित्र में महादेवी माया शयनकक्ष में सो रही है, इस चित्र में कलाकार ने सफेद गोल आकार या प्रताप कुंज के प्रतीक से स्वप्न की कथा का चित्र में निरूपण किया है.
छठी गुफा के चित्र
19वीं गुफा के समान ही छठी गुफा में भी कुछ चित्र प्राप्त है. इनमें केश संस्कार से युक्त एक सुंदरी तथा द्वारपालो के कुछ चित्र किसी कुशल चितेरे से बने हुए हैं.
नवी गुफा के चित्र
इस गुफा में एक दीवार से प्लास्टर का एक बड़ा खंड छुड़ाकर उसके नीचे एक चित्र बनाया गया, जो चट्टान पर पोर्सलिन के समान चमकदार प्लास्टर चढ़कर उसके ऊपर से बनाया गया था. इस गुफा में बैठी हुई स्त्री का एक प्राचीन चित्र है. क्योंकि बाद में कहीं पुराने चित्रों को पतले प्लास्टर की तह से ढककर ऊपर से चित्रकार की गई है. नवी गुफा में बने कुछ चित्र गुप्तकाल के भी है. इस गुफा में चित्रित स्तूप की ओर जाते पुजारी के दल में तत्कालीन वास्तु तथा मूर्ति कला से बहुत समानता है.
दसवीं गुफा के चित्र
इस गुफा की दाहिनी भित्ती पर आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व तक अधिक चित्र थे. यह चित्र प्रारंभिक शैली के थे. इनमें विशेष रूप से शक्तिशाली स्वतंत्र रेखाओं से हाथियों का अंकन किया गया था. इस चित्रावली में 6 दांत जातक की कथा चित्रित है, जिसमें चित्रकार ने घने जंगल का अंकन सुंदरता से किया है. यहां पर अनेक प्रकार के वृक्ष जैसे बरगढ़, गूलर तथा आम के वृक्ष चित्रित किए गए हैं. बाय भित्ती पर एक जुलूस के दृश्य का चित्रण है जिसमें आगे पैदल सशस्त्र घुड़सवार और पीछे स्त्रियों के दलों को तीव्र गति से आगे बढ़ते हुए अंकित किया गया है. इस गुफा में ही श्याम जातक का चित्र है. श्याम जातक तीसरी शताब्दी में चित्रित किया गया है और इस गुफा के स्तंभों पर जो बुद्ध चरित्र खड़ी मुद्राओं में बनाए गए हैं और उनके कपड़ों तथा सर के पीछे प्रकाश पुंज आदर्श गए हैं उनमें गंधार शैली का प्रभाव है.
11वीं गुफा के चित्र
यहां पर हस्ती जातक की कथा तथा नंद की कथा और उनकी विरह व्याकुल रानी के सुंदर चित्र है. इस चित्र में एक बांध के किनारे कुछ बालक और स्त्रियां सरोवर में स्नान कर रही है. और इस चित्र में एक राक्षस भी है, परंतु इस चित्र की आकृतियों की लिखाई में निर्बलता है.
16वीं गुफा के चित्र
इस संपूर्ण गुफा के गर्भ में आज से लगभग 80 या 100 वर्ष पूर्व अधिक चित्र थे, परंतु अब बहुत से चित्र नष्ट हो चुके हैं. इस गुफा में एक मुख्य “बुद्ध उपदेश” का चित्र है. इसी विषय का एक दूसरा चित्र इस गुफा में है. इस चित्र में बुद्ध की मुख्य कृति नष्ट हो चुकी है परंतु उनके भक्तों की आकृतियों को कम क्षति पहुंची है. भक्तों में एकाग्रचित और भक्ति में नम्र दृष्टि दिखने में कलाकार को अत्यधिक सफलता प्राप्त हुई है. 16वीं गुफा की दाहिनी भित्ती पर सुजाता की कहानी चित्रित है. इसमें गायों का सुंदर चित्र है और भवन में गुप्तकालीन प्रस्तर शिल्प जैसी ज्यामितिक तरह से जालियां काटी गई है. 16वीं गुफा में एक सबसे प्रसिद्ध चित्र है जो “मरती राजकुमारी” के नाम से विख्यात है.
17वीं गुफा के चित्र
17वीं गुफा के चित्र 16वीं गुफा के चित्रों के बाद के हैं परंतु यह चित्र पहले से अधिक खराब अवस्था में है. इस गुफा में लगभग 31 दृश्य का वर्णन दिया है परंतु अब बहुत कम चित्र प्राप्त है. इस गुफा में घुसते ही बाहरी बरामदे की दीवार पर सुंदर चित्र थे जो नष्ट हो चुके हैं. द्वार के दोनों और किसी समय बुद्धिस्ट के चित्र बने रहे होंगे परंतु अब इनके केवल मुकुट मात्र ही रह गए हैं. इस गुफा की छत में सुंदर आलेखन बनाए गए हैं. इस गुफा के अंदर अनेक सुंदर चित्र है जिनमें नलगिरी नमक हाथी के आक्रमण के भी कई दृश्य है. किंतु इन चित्रों के रंग फीके पड़ गए हैं और कई अंश प्लास्टर के साथ गिर गए हैं. इस गुफा में “मार -विजय” का भव्य चित्र अंकित है.
19वीं गुफा के चित्र
यह गुफा चैत्य ग्रह है. इसमें पत्थर को काटकर अधिक अलंकरण कार्य किया गया है. चित्रों में गौतम बुद्ध के चित्र और सामने की ओर बने छत के आलेखन सुंदर है.
FAQ Section
Q. अजंता गुफा कहां पर है?
Ans. अजंता गुफाएं भारत के महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है. यह तकरीबन बड़ी-बड़ी 29 चट्टानों को काटकर बना बौद्ध स्मारक गुफा है. यहां पर बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रण और शिल्पकार है.
Q. अजंता गुफा का निर्माण किसने करवाया था?
Ans. इन्हें 100 ईसा पूर्व से 100 ई की अवधि के दौरान बनाया गया था. हिंदू सातवाहन राजवंश के संरक्षण में बनाया था जिन्होंने इस क्षेत्र पर शासन किया था. (230 ईसा पूर्व से लगभग 220 सीई)
Q. अजंता की गुफाओं में किस रंग का उपयोग किया गया है?
Ans. अजंता की गुफाओं में मुख्यतः लाल गेरू, पीला, भूरा, काला , सफेद और नीला रंग इस्तेमाल किया गया है. यह सभी रंग पौधों और खनिजों से प्राप्त किए गए हैं.
Q. अजंता में कुल कितनी गुफाएं हैं?
Ans. अजंता में कुल 29 गुफाओं का एक समूह है. यहां पर बौद्ध वास्तुकला, गुफा चित्रों और मूर्तियों के बेहतरीन उदाहरण है.
इन्हें भी देखें
सिंधु घाटी सभ्यता की कला – चित्रकला – ” Click here “
जोगीमारा की गुफा और चित्रकला – ” Click here “
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