पवित्रानंद गिरि का परिचय
पवित्रानंद गिरि जी के जीवन की कहानी बहुत ही दुखों से भरी है. Pavitranand giri biography in hindi – बचपन में उन्होंने बहुत अन्याय सहे हैं, लेकिन आज वे उज्जैन के किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर है. वे एक सन्यासी बन गई है. बचपन में घरवालों के तानों से तंग आकर उन्होंने कक्षा दसवीं में घर छोड़ दिया था. पवित्रानंद गिरि ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है और आज उन्होंने अपनी स्वयं की एक पहचान बना ली है. उन्हें काफी लोग जानते हैं. आइए हम आपको उनके जीवन से परिचित कराते हैं –
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पूरा नाम – पवित्रानंद नीलगिरी |
जन्म – मई 1984 (लगभग) अनुमान लगाया गया |
जन्मस्थान – अमरावती, महाराष्ट्र |
उम्र – 38 वर्ष, 2022 में (लगभग) |
पेशा – ज्ञात नहीं |
धर्म – हिंदू , मराठी |
राष्ट्रीयता – भारतीय |
शिक्षा – नर्सिंग की पढ़ाई की |
प्रसिद्धि का कारण – महामंडलेश्वर अखिल भारतीय किन्नर अखाड़ा उज्जैन |
वैवाहिक स्थिति – अविवाहित |
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पवित्रानंद गिरि जन्म व प्रारंभिक जीवन Birth and Early life
पवित्रानंद गिरि का जन्म मई 1984 (अनुमान लगाया गया) में महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था. पवित्रानंद गिरि जी बताते हैं कि जब वह मात्र 3 साल के थे तब उनके पिताजी घर से चले गए थे, और वे आज तक घर लौटकर नहीं आए. इसका कारण उन्हें आज तक नहीं पता चल पाया. पवित्रानंद गिरि घर के सबसे छोटे सदस्य थे. जन्म के बाद शुरुआत में सभी उन्हें बहुत प्यार करते थे, लेकिन जब वे धीरे-धीरे बड़े होने लगे और उनके हाव-भाव लड़कियों जैसे दिखने लगे तो उन्हें घर के सभी लोग डांटते और मारते थे. Pavitranand giri in hindi.
पवित्रानंद गिरि की शिक्षा education
पवित्रानंद गिरि जी अमरावती के स्कूल में पढ़ाई करते थे. उनके लड़की जैसे हाव भाव के कारण छात्र तथा शिक्षक उनका मजाक उड़ाते थे, और मारते भी थे. परंतु पवित्रानंद गिरि जी इस स्कूल में सिर्फ दसवीं कक्षा तक पढ़े, और वह घर छोड़कर नागपुर चले गए. फिर वहां उन्होंने एक सेल्समैन की नौकरी की. फिर उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया, और स्कूल में दाखिला ले लिया. एक अस्पताल में रात की नौकरी करते और दिन में पढ़ाई करते थे. फिर 12वीं कक्षा पास करने के बाद पवित्रानंद गिरि ने नर्सिंग में एडमिशन ले लिया और उनकी बहन ने भी उनकी सहायता की. नर्सिंग करने के बाद उन्होंने नागपुर में ही कई अस्पताल में नौकरी भी की थी. Pavitranand giri story in hindi.
पवित्रानंद गिरि का परिवार family
पवित्रानंद गिरि अब अपने परिवार के साथ नहीं रहती है. वह कक्षा दसवीं में थी, तब ही उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया था. पवित्रानंद गिरि के माता पिता का नाम ज्ञात नहीं है. जब वह 3 साल की थी तब उनके पिताजी भी घर से चले गए थे. पवित्रानंद गिरि के माता-पिता की आठ संताने थी. पांच भाई थे तथा तीन बहने थी. पवित्रानंद गिरि घर में सबसे छोटी थी. हमें पवित्रानंद गिरि जी के परिवार वाले की ज्यादा जानकारी नहीं है.
- माता पिता का नाम – ज्ञात नहीं
- भाई – 5 , नाम ज्ञात नहीं
- बहन – 3 , नाम ज्ञात नहीं
पवित्रानंद गिरि शारीरिक बनावट
- उम्र – 38 वर्ष, 2022 मे ( लगभग )
- हाइट – 5.4 इंच
- वजन – 80 kg लगभग
- बालो का रंग – बाल नहीं है
- आंखों का रंग – काला
- त्वचा का रंग – गेहुआ
पवित्रानंद गिरि का संघर्ष भरा जीवन
पवित्रानंद गिरि जी का अमरावती में मराठी (ब्राह्मण) परिवार में एक लड़के के रूप में जन्म हुआ था. वे 8 भाई-बहन थे. वह घर में सबसे छोटे थे, तो उन्हें सब ने शुरुआत में बहुत प्यार किया. परंतु जैसे-जैसे वे बड़े हुए तो उनमें लड़कियों के हावभाव दिखने लगे. इसी कारण उन्हें उनके भाई मारते भी थे. और बाहर के लोग भी उनका मजाक उड़ाने लगे थे. पवित्रानंद गिरि जी की माँ तथा भाई-बहनों को लगता था कि पवित्रानंद की वजह से उनकी इज्जत चली जाएगी, इसलिए वे उनको बहुत मारते थे. एक बार स्कूल में टीचर ने भी पवित्रानंद गिरि की खूब पिटाई की थी, क्योंकि वह लड़कियों के साथ रहते थे. फिर पवित्रानंद गिरि 9वी कक्षा में थे तब उनके भैया ने उनके ऊपर कुल्हाड़ी फेक दी थी, तो उनके पाँव की उंगलियां कट गई थी. पवित्रानंद गिरि ने अपने जीवन में बहुत अन्याय सहे. उनके ही कजिन भाई ने उनका यौन शोषण किया था. पवित्रानंद गिरि ने सभी से तंग आकर खुद को खत्म करने का सोचा. एक बार कुएं में कूदी, पर भाई ने बचा लिया. फिर स्कूल की तीसरी मंजिल से भी कूदी, पर बच गई. फिर एक बार जहर भी पी लिया, लेकिन फिर भी वह खुद को खत्म नहीं कर पाई. क्योंकि उनके जीवन में तो कुछ और ही होना लिखा था. दसवीं कक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने घर छोड़ने का फैसला कर लिया था. Pavitranand giri hindi.
पवित्रानंद गिरि को अपना घर छोड़ना पड़ा
पवित्रानंद गिरि ने अपने घर से 5 किलो तुवर दाल ली और घर छोड़कर नागपुर चली गई. वह नागपुर के मंदिर में रहने लगी. पवित्रानंद गिरि जी मंदिर में झाड़ू पोछा करते थे, और भगवान की पूजा करते थे. पास में ही ये कपड़े की दुकान में काम करने लगे थे. और वे इस्कॉन से भी जुड़ गए थे. और इसका प्रचार करते थे. जिससे उन्हें खाने तथा रहने की सुविधा मिलती थी. लेकिन उनके परिवार वालों की वजह से इस्कॉन वालों ने उन्हें वहां से निकाल दिया था. फिर वे एक अस्पताल में रात की ड्यूटी करने लगे और साथ में अपनी पढ़ाई भी पूरी की.
पवित्रानंद गिरि जी सोशल मीडिया अकाउंट
पवित्रानंद गिरि जी अपने instagram account पर हमेशा एक्टिव रहती है, और वे स्टोरी भी डालती रहती है. पवित्रानंद गिरि जी के और 7301 followers है और 2622 पोस्ट है. वह जिस जगह सेमिनार करती है उनकी पोस्ट भी डालती रहती है. उन्होंने अपने instagram के bio मे उनका email भी डाल के रखा है.
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पवित्रानंद गिरि जी का किन्नर बनने का सफर
पवित्रानंद गिरि जी अपने खाली समय में किन्नरों तथा ट्रांसजेंडर से शाम को मिलती रहती थी. उन्हें लगता था कि वे लड़का तो है नहीं, और एक किन्नर के रूप में समाज भी उन्हें आसानी से स्वीकार नहीं करेगा. फिर उन्होंने ‘ सारथी ‘ नाम की संस्था की नींव रखी. फिर धीरे-धीरे किन्नरों तथा एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगो से मिलना तथा उन लोगों के हित के लिए काम करने लगी. फिर इसी बीच उनकी मुलाकात प्रसिद्ध किन्नर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से हुई. वे मुंबई में रहती थी. साथ में पवित्रानंद गिरि उनका चेला बन गई थी. इसके बाद पवित्रानंद गिरि और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मिलकर किन्नरों के हित के लिए कई सारे सेमिनार करवाए थे. फिर सन 2013 में पवित्रानंद गिरि ने फैसला किया कि वह अपने असली रूप में सबके सामने आएगी, और वैसे ही रहेगी. और फिर वे किन्नर बन गई . उन्होंने मेकअप करना, साड़ी पहनना शुरू कर दिया था. वह धर्म के हक के लिए लड़ी. सन् 2016 में उज्जैन कुंभ का आयोजन था, तब उन्होंने तय किया कि वे 14 अखाड़ा यानी किन्नर अखाड़ा बनाएंगे. लेकिन सभी ने उनका विरोध किया. बड़े-बड़े साधु, मंत्री, अध्यक्ष सभी ने उनका विरोध किया. परंतु उन्होंने किसी की नहीं सुनी और बिना परमिशन ही किन्नर पेशवाई (जुलूस) निकाला. कई लोग जुलूस में शामिल भी हुए. 2 महीने बाद उनकी जीत हुई और उन्होंने अपना अखाड़ा बनाया और तब वे किन्नर अखाड़ा उज्जैन की महामंडलेश्वर बनी थी. वे अपने जीवन में परिवार से लड़ी , समाज से लड़ी और धर्म में अपने हक के लिए लड़ी. Mata pavitranand .
पवित्रानंद गिरि जी की रोचक जानकारियां
- पवित्रानंद गिरि उज्जैन के किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर है
- पवित्रानंद गिरि ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है.
- पवित्रानंद गिरि ने जूना अखाड़े के हरीगिरी महाराज से दीक्षा ली थी, और सन्यासी बन गई थी.
- पवित्रानंद गिरि जी का पूरा नाम पवित्रानंद नीलगिरी है.
- पवित्रानंद गिरि ने 10वीं में घर छोड़ दिया था और नागपुर के मंदिर में रहती थी.
- पवित्रानंद गिरि ने अस्पताल में काम करके अपनी पढ़ाई पूरी की.
- पवित्रानंद गिरि जी अपनी मां से प्रॉपर्टी के हक के लिए कोर्ट में लड़ी और अपना हक भी हासिल किया.
- पवित्रानंद गिरि ने किन्नरों के हित के लिए कई कार्य किए और आज भी करती है
इनके जीवन से हमें क्या सीखना चाहिए
पवित्रानंद गिरि जी का जीवन हमे बहुत कुछ सिखाता है. उन्होंने अकेले ही अपनी लड़ाई लड़ी और आज वे इतने बड़े पद पर हैं. उन्हें अपने जीवन में अपनों का प्यार नहीं मिला. अगर ऐसा किसी के साथ होता है तो हमें उनकी सहायता करनी चाहिए, ना कि उनका मजाक उड़ाना चाहिए. पवित्रानंद गिरि ने अपने जीवन में बहुत मेहनत की है और अपना नाम बनाया है.
FAQ Section
Q. पवित्रानंद गिरि कौन है?
A. उज्जैन के किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर है. वे एक सन्यासी बन गई है.
Q. पवित्रानंद गिरि की उम्र कितनी है?
A. उम्र – 38 वर्ष, 2022 में (लगभग)
Q. पवित्रानंद गिरि कहां की रहने वाली है?
A. पवित्रानंद गिरि का जन्म मई 1984 (अनुमान लगाया गया) में महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था.
Q. पवित्रानंद गिरि का जन्म कब हुआ था?
A. जन्म – मई 1984 (लगभग) अनुमान लगाया गया
Q. उज्जैन अखाड़े की महामंडलेश्वर कौन है?
A. पवित्रानंद गिरि , वे किन्नर अखाड़ा उज्जैन की महामंडलेश्वर बनी थी. वे अपने जीवन में परिवार से लड़ी , समाज से लड़ी और धर्म में अपने हक के लिए लड़ी.
Q. माता पवित्रानंद गिरि कौन है?
A. उज्जैन के किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर है. वे एक सन्यासी बन गई है.
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