जीवो के विकास का इतिहास , सभ्यता और 3 युग
ऐसा माना जाता है कि वास्तविक मनुष्य का आगमन हुए लगभग केवल 50000 ही वर्ष हुए हैं जीवो के विकास का इतिहास , सभ्यता और 3 युग को सभ्यता की वह स्थिति जिसमें इतिहास लिखा जाता था केवल 4 या 5000 वर्ष पूर्व की है तो आज से करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी की क्या दशा थी और किस प्रकार के प्राणी रहते थे इत्यादि बातों का मनुष्य ने कैसे पता लगा लियाl अनेक वर्षों का कड़ा परिश्रम करते हुए प्राणी विकास की कहानी की रूपरेखा तैयार की गई और ज्यों ज्यों नए तथ्यों का उद्घाटन हो रहा है, इस रूपरेखा की कमियों की पूर्ति की जा रही हैl
*अजीव चट्टान युग (Azoic Age)
लगभग दो अरब या इससे अधिक वर्ष तो हुए है पृथ्वी की उत्पत्ति हुएl जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी हुई और ठंडा होने के फलस्वरूप वे सब धातु तथा अन्य उपादान जो गैस रूप में पृथ्वी में है, धीरे-धीरे तरल तथा ठोस रूप में परिवर्तित हुएl आज की पृथ्वी की स्थिति में पृथ्वी के केंद्र से लेकर पृथ्वी की सतह तक प्राय: 4000 मील की दूरी हैl अनुमान है कि केंद्र के पास सबसे भीतरी गर्म जो प्राय: 2200 मील मोटाई का है वह लोहा और निकल धातु का बना हैl पृथ्वी के गर्भ में अभी तक बहुत तेज गर्मी होने की वजह से यह धातु है तथा अन्य उत्पादन तरल या अर्थ तरल दशा में होl पत्थर चट्टानों का यह सबसे ऊपरी खोल कई स्तरों का कहीं साथ होकर बना है जिसे धूल मिट्टी पानी में घोलकर कीचड़ बनकर और सुख सुख कर कठोर होती गई, और चट्टानों का एक स्तर बन गईl इस स्तर पर फिर मिट्टी कीचड़ जमा होने लगा और धीरे-धीरे दूसरी सतह बन गईl इस प्रकार स्तर पर जमती गई और ऊपरी खोल कि वह चट्टाने बनी जिन्हें हम आज स्तरीय पत्थर (sedimentary rock) कहते हैंl इन्हीं स्तरीय चट्टानों में जीवन का इतिहास लिखा हुआ मिलता हैl इनका परीक्षण करने में से पता लगा है कि इनमें सबसे पुरानी चट्टानों की आयु प्राय: एक अरब 60 करोड़ वर्ष की आंकी जा सकती हैl इन चट्टानों की आधी या आधी से भी अधिक आयु तक स्तरों को जीवन का कोई भी चिन्ह नहीं मिलता हैl आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व की चट्टानों की जो स्तरे है उनमें भी जीवो के कोई चिन्ह नहीं मिलतेl ऐसी चट्टानों के युग को (Azoic Rocks age) अजीव चट्टान युग नाम दिया गया हैl
*प्रारंभिक जीव युग (Paleozoic Age)
ऐसे सूक्ष्मजीव जिनके अवशेष चिन्ह तो नहीं मिलते किंतु जिन की स्थिति का अनुमान लगाया जाता हैl सभवत: 60 करोड़ वर्ष पूर्व छिछले समुद्रों में अनेक प्रकार के बहुत छोटे-छोटे जेलीफिश ( jelly fish) की तरह के अंग हीन अनंत प्राणी पानी की सतह पर तैरते थे, एवं काई की तरह के अनेक प्रकार के घास -पौधे भी पानी में पाए जाते थेl ऐसे प्राणियों के अस्तित्व का केवल अनुमान लगाया जाता है, उनके किसी भी प्रकार के अवशेष विधमान रहने की संभावना हो ही नहीं सकती थीl प्राण का जीवधारी प्राणियों का यह प्रारंभ काल ही थाl प्राकृतिक परिस्थितियां बहुत विषम थी, समुद्रों का जल शांति तथा शीतल नहीं था, एवं ऐसी संभावना है कि प्राणधारी व्यक्तियों ,जीवो का जीवन काल कुछ घंटे तक का ही होता होगाl जाति परिवर्तन शीघ्र शीघ्र होता होगाl उत्तर काल की तरह नहीं जब अधिक विकसित जीव के जाति परिवर्तन में लाखों वर्ष लगते थेl जैसे-जैसे हम चट्टानों की ऊपरी स्तरों की ओर बढ़ते हैं वैसे वैसे हमें प्राचीन जीवो के चिन्ह अधिक मिलते जाते हैंl हमें अनेक प्रकार की छोटी-छोटी मछलियां, पानी में रहने वाले कीड़े के समान अनेक प्राणी जिन्हें मूंगे का नाम दिया गया है, एवं सामुद्रिक बिच्छू एवं अन्य अनेक प्रकार के जल जीवो के चिन्ह मिलने लगते हैंl जैसी प्राकृतिक परिस्थितियां उस समय थी उनमें यह बहुत संभव था कि जीवित रहने के लिए सूर्य की तेज किरणों से बचने के लिए उन जीवो पर shell की तरह खोखलो का विकास वैसे वैसे हो गया होगाl वह युग जिसमें इन प्रारंभिक जीवो का उदय एवं विकास हुआ प्रारंभिक जीव युग (Paleozoic Age) कहलाता हैl उपरोक्त प्रारंभिक जीवो के अतिरिक्त जैसे जैसे काल बीता वैसे वैसे ही और नए-नए जिवों का विकास होता गयाl
*मध्य जीव युग ( Mesozoic Age)
इस युग का काल आज से लगभग 20 करोड वर्ष पूर्व से 5 करोड़ वर्ष पूर्व तक का अनुमानित किया जाता हैl इस युग के आगमन के पूर्व भी पृथ्वी की शक्ल सूरत में, जलवायु में अनेक प्रकार के परिवर्तन हुएl हजारों वर्ष तक तापमान साधारण रहता था, फिर हजारों वर्ष तक पृथ्वी के अनेक भाग ठंडी बर्फ से ढके रहते थेl तापमान इत्यादि में भयंकर परिवर्तन चलते ही रहते थे, ऐसा अनुमान है कि युग के अंतिम काल में अनेक लंबे अरसे तक ठंड का साम्राज्य रहाl ऐसी ही ठंडी जलवायु का जब साम्राज्य होता होगा तो कार्बन युग के पृथ्वी के विशाल क्षेत्रों में फैले हुए पेड़ पौधों का बहुत अंश तक अंत हो गया होगा, और उन पर मिट्टी पत्थर जमते गए होंगे, और बे ही खनिज रूप में परिवर्तित होकर पृथ्वी के गर्भ में दब गएl उसी युग के उन पेड़ों को आज हम पत्थर के कोयले की खदानों के रूप में पाते हैंl परिवर्तन के ऐसे युगो में ही प्राणियों में अनेक प्रकार की क्षमताओं का, शक्तियों का, विकास होता है, और वे प्राणी परिवर्तित वातावरण के अनुकूल अपने में भी परिवर्तन लाते रहते हैंl इस युग में जानवरों के साथ अनेक प्रकार के पेड़ पौधों का विकास हुआ, अब यह पेड़ पौधे बीज देते थे और विकास की ऐसी स्थिति में थे कि उनके बीज भूमि पर पड़ने पर एवं वर्षा द्वारा उचित जल मिलने पर उत्पन्न हो जाते थेl इस प्रकार हम देखते हैं कि प्राण के इस युग में पहुंचते-पहुंचते पर्याप्त विकास कर लिया थाl
*नवजीव युग (new age)
आज से लगभग 5 से 4 करोड वर्ष पूर्व इस युग का प्रारंभ हुआl करोड़ों वर्षों तक मध्य जीव युग के सभी प्राणियों का इस संसार में अखंड राज्य रहाl प्रकृति परिवर्तन जारी थे, पहाड़, झील, नदियों, समुद्रों की शक्ल एवं स्थितियां बदल रही थीl लाखों वर्षों तक कभी गर्मी पड़ती थी, कभी भयंकर उत्पात होते थेl फिर लाखों वर्षों तक यही रहा l ऐसे ही भयंकर परिवर्तनों के समय में हम अपने चट्टानों के लिखित इतिहास में देखते हैं कि सहस सभी प्रकार के प्राणियों का लोप हो जाता है, एवं लाखों वर्षों तक किसी भी प्राणी के अवशेष चिन्ह या फॉसिल चट्टानों में नहीं मिलतेl संवत: है यह लाखो वर्ष भयंकर सर्दी के रहे होंगे और ऐसी परिस्थितियों में विशेष प्राणी पनप नहीं पाए होंगे l जीवित रहने के लिए खूब युद्ध चला होगा एवं जीव जातियों को प्रकृति के परिवर्तन के अनुरूप अपने आप को बनाने के लिए साधना करनी पड़ी होगीl जब से नवजीव युग के प्राणियों के चिह्न हमें चट्टानों के पृष्ठों में मिले मिलने लगते हैं, उस समय की पृथ्वी की प्राकृतिक दशा का इस प्रकार अनुमान लगाया जाता है कि यही काल था जब हिमालय पर्वत, आल्पस पर्वत, रॉकी एवं एंडीज पर्वत भूगर्भ में से धकाए जाकर ऊपर आ रहे थेl और आज के महाद्वीपों एवं महासागरों की रूपरेखा कुछ-कुछ बनने लगी थीl इसी युग में जंगलों एवं घास के मैदानों नवजीवन तक आते-आते यह पेड़ पौधे जमीन पर अनेक स्थलों में फैल गए एवं बड़े-बड़े जंगलों का उत्पन्न हुआ, साथ ही साथ इस युग में घास के मैदान बनेl एवं एवं अन्य जानवर के साथ उड़ने वाले जानवर (पक्षी) का आगमन भी हुआl इस युग में स्तनधारी प्राणियों का आगमन ही सबसे अधिक महत्वशाली घटना थीl अब तक तो जितने भी लाखों प्रकार के प्राणी स्थिति में आए थे इनकी ये विशेषता थी कि वह उनका जन्म होते ही जन्म देने वाले प्राणियों से पृथक हो जाते थे और अपना जीवन पृथक निर्वाह करने लग जाते थेl अब ऐसे जीवन धारियों का आगमन हुआ जिनसे बच्चों का गर्भ में भी पूर्ण रूप से विकास हो जाता था, और साथ ही साथ जन्म लेने के बाद भी उन बच्चों को अपने निर्वाह भोजन के लिए कुछ दिनों तक, महीनों तक अपनी जन्मदाता के साथ रहना पड़ता थाl जैसे-जैसे काल बीतता गया इस युग के प्राणियों में विकास होता गया और विकास होते होते फल, फूल, बनस्पति एवं जीव प्राणी इस पृथ्वी पर ऐसे ही दृष्टिगोचर होने लगेl जो आज की वनस्पति से, आज के जानवरों से मिलते जुलते थेl आज की दुनिया घोड़े, ऊंट, हाथी, कुत्ता, चीते, शेर इत्यादि जानवरों के पूर्वज उस युग में दृष्टिगोचर हुए.
इन्हें भी देखें-
- History of Evolution of Organisms, Civilization and 3 Eras – in English – ” Click here “
- हिंदी साहित्य का इतिहास की जानकारी – “ Click here “
- मानव का इतिहास के बारे में जानने के लिए यहाँ देखे – “ Click here “