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सैम मानेकशॉ जीवन परिचय Sam Bahadur biography in hindi (भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल)

सैम बहादुर मानेकशॉ परिचय

सैम बहादुर, जिनको सभी सैम मानेकशॉ के नाम से जानते हैं. Sam Bahadur biography in hindi – सैम मानेकशॉ भारतीय आर्मी के सेना अधिकारी थे. यह इंडियन आर्मी के ऐसे जनरल थे जिनकी बात काटने की हिम्मत किसी में नहीं थी. इन्हें सेनानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक की पदोन्नति दी गई थी. सैम मानेकशॉ (फील्ड मार्शल ) 1969 में भारतीय आर्मी सेना के प्रमुख सेना अध्यक्ष बने गए थे. सैम मानेकशॉ फील्ड मार्शल का सबसे बड़ा पद ( रैंक ) हासिल करने वाले दो इंडियन सैन्य अधिकारियों में से एक है.

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सैम मानेकशॉ जीवन परिचय Sam Bahadur biography in hindi (भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल)
सैम मानेकशॉ
पूरा नाम – सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ 
उपनाम – सैम बहादुर
जन्म – 3 अप्रैल 1914
जन्म स्थान – अमृतसर, पंजाब (भारत) 
मृत्यु – 27 जून 2008
मृत्यु स्थान – वेलिंगटन, तमिलनाडु (भारत) 
कार्य क्षेत्र – भारतीय सैन्य सेवा
नागरिकता – भारतीय
जाति – फारसी
पत्नी – सिल्लो बोडे
पुरस्कार – पद्म भूषण, पद्म विभूषण, सैन्य क्रांस, भारत का पहला फील्ड मार्शल
युद्ध लड़े – द्वितीय विश्व युद्ध, 1947 का भारत – पाकिस्तान युद्ध, भारत – चीन युद्ध, 1965 भारत – पाकिस्तान युद्ध, बंग्लादेश मुक्त युद्ध
उम्र – 94 ( 2008 तक) 

सैम मानेकशॉ जन्म व प्रारंभिक जीवन

सैम मानेकशॉ का जन्म 13 अप्रैल 1914 में पंजाब के अमृतसर में एक फारसी परिवार में हुआ था. पहले ही उनका परिवार गुजरात के एक शहर वलसाड से पंजाब आ गया था. सैम बहादुर ने अपना शुरुआती जीवन अमृतसर में ही बिताया था. वह अमृतसर में ही पले बढ़े हैं.

सैम बहादुर का परिवार

सैम मानेकशॉ पंजाब अमृतसर के रहने वाले थे. सैम मानेकशॉ के पिता एक डॉक्टर थे. (पिता – माता का नाम ज्ञात नहीं)  सैम मानेकशॉ पांच भाई थे, और यह पांचों में सबसे छोटे थे. इनके भाई लंदन में पढ़ाई करने गए थे तो सेम बहादुर का भी मन लंदन जाकर पढ़ाई करके डॉक्टर बनने का होने लगा था. परंतु ऐसा नहीं हो सका. इनके पिता जी ने इन्हें कहा की अभी तुम्हारी उम्र कम है. इस वजह से वह नहीं जा सके थे. सन 1937 में वह एक समारोह में लाहौर गए थे वहां पर सेम की दोस्ती सिल्लो बोडे से हुई. और 2 साल बाद सैम मानेकशॉ और सिल्लो बोडे विवाह के बंधन में बंध गए. दोनों ने  22 अप्रैल 1939 में शादी कर ली थी. 

सैम मानेकशॉ की शिक्षा

सैम मानेकशॉ ने अपनी शुरुआती शिक्षा पंजाब के अमृतसर में ही पूरी की. अपनी स्कूल की शिक्षा पूरी होने के बाद सैम मानेकशॉ अपने कॉलेज की पढ़ाई के लिए नैनीताल चले गए थे. नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से उन्होंने डिग्री हासिल की. वैसे तो वह बचपन में डॉक्टर बनने का सपना देखते थे, परंतु  उन्होंने अपना फैसला बदला और देहरादून से इंडियन मिलिट्री एकेडमी में प्रवेश परीक्षा देने का निर्णय लिया, और वह इस परीक्षा में पास भी हो गए. फिर उनका जीवन आर्मी में ही व्यतीत हुआ था.

सैम मानेकशॉ आर्मी का जीवन ( सैनिक जीवन) Army

सैम मानेकशॉ नें देहरादून से इंडियन मिलिट्री एकेडमी में प्रवेश परीक्षा पास की थी. और 1 अक्टूबर 1932 देहरादून से इंडियन मिलिट्री एकेडमी में जॉइनिंग हो गई थी. और फिर इसके बाद 4 फरवरी 1934 को ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सैम सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर चुने गए थे. और फिर इसी समय से सैम बहादुर मानेकशॉ इसका के सैनिक जीवन की शुरुआत हो गई थी.

 ब्रिटिश आर्मी को ज्वाइन करने के बाद सैम ने कुछ सालों तक अपना सैनिक जीवन व्यतीत किया. इसी समय के बीच वह पाकिस्तान से 3 बार युद्ध मे भी थे तथा चाइना से एक बार युद्ध में भी थे. इन युद्धों के वह चश्मदीद गवाह बने थे. सैम ने अपने पूरे सैनिक जीवन मे कई सारे महत्वपूर्ण पदों को पाया है, तथा उन पदों के कार्य को बहुत अच्छी तरह से संभाला है. 7 जून सन 1969 से सैम मानेकशॉ को भारत का आठवां सेना अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. और इसी कार्य के समय सैम मानेकशॉ ने सन 1971 में पाकिस्तान से युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाली थी. इस युद्ध में विजय के बाद सैम मानेकशॉ को भारत का पहला फील्ड मार्शल घोषित किया गया था. उन्होंने कई सारे पदों को संभाला था, जिसमें थे – पहले, द्वितीय बटालियन और फिर ” द रॉयल स्कॉट”  और इसके बाद चौथे बटालियन तथा इसके बाद 12वी फ्रंटियर फोर्स में सहयोग देने के लिए सैम को अवसर दिया गया था. सैम मानेकशॉ का सैनिक जीवन आसान नहीं था. इन्होंने अपने सैनिक जीवन में बहुत अच्छे तथा बड़े-बड़े कार्य किए थे. आर्मी में इनका नाम आज भी बहुत प्रसिद्ध है. सैम मानेकशॉ के जीवन के ऊपर एक बायोपिक फिल्म भी बनने वाली है.

भारत की आजादी के बाद 

सैम मानेकशॉ ने आजादी के बाद विभाजन के विभाजन से जुड़े कार्यों में अपना सहयोग दिया था, और सभी योजनाओं तथा शासन व्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सन 1947 से 1948 के जम्मू कश्मीर के अभियान के समय भी सैम मानेकशॉ ने अपने युद्ध निपुणता का अच्छा परिचय दिया था. इसके बाद वे एक इन्फेंट्री बीग्रेड के नेतृत्व के बाद इन्हें म्हो के इन्फेंट्री स्कूल का कमांडेंट बनाया गया था, और सैम मानेकशॉ गोरखा राइफल्स के आठवें तथा कैवेलारी के 61 वे कर्नल भी बन गए थे. 

सैम मानेकशॉ जीवन परिचय Sam Bahadur biography in hindi (भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल)
सैम मानेकशॉ जीवन परिचय Sam Bahadur biography in hindi (भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल)

सैम बहादुर पुरस्कार व उपलब्धियां

सैम मानेकशॉ को अपने सैनिक जीवन में कई पुरस्कार व उपलब्धियां दी गई. सैम जैसे वीर पुरुष और अपनी मातृभूमि की सेवा करने वाले भारतीय वीर योद्धा को भारतीय सेना द्वारा कुछ सम्मान से सम्मानित किया गया है –

  • पद्म विभूषण पुरस्कार 
  • पद्म भूषण पुरस्कार 
  • सैन्य क्रांस पुरस्कार 

नागालैंड में सन 1964 में चल रहे सभी प्रकार की गतिविधियों को रोकने के लिए सैम मानेकशॉ को तैनात किया गया था. इस कार्य में इन्हें सफलता मिली. इसी के लिए इन्हें 1968 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था.

पाकिस्तान से युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ. सैम मानेकशॉ की वीरता तथा देश प्रेम व देश के प्रति सेवा के कारण सैम मानेकशॉ को सन 1972 में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था. 

सैम मानेकशॉ बिओपिक् फिल्म ( Biopic movie) 

सैम मानेकशॉ के जीवन पर आधारित उनकी बिओपिक् फिल्म बनने वाली है. फिल्म का नाम ” सैम बहादुर ” रखा गया है. जिसका निर्देशन मेघना गुलजार कर रही है. फिल्म में सैम मानेकशॉ का किरदार “विकी कौशल”  निभा रहे हैं. फिल्म में सन 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तान को पराजित करके, उसके 90000 से भी ज्यादा सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर देने वाले भारत के महानायक तथा स्वतंत्र भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की वीरता, शौर्य, पराक्रम, योगदान, तथा बलिदान को दिखाया जाएगा. यह मूवी जल्दी रिलीज होने वाली है. अभी मूवी की रिलीज डेट नहीं आई है. सूत्रों के मुताबिक यह फिल्म अगले महीने जुलाई मे रिलीज़ हो सकती है.

सैम मानेकशॉ निधन

देश के वीर योद्धा सैम मानेकशॉ का निधन 27 जून 2008 में निमोनिया बीमारी के कारण, तमिलनाडु के सेना हॉस्पिटल, वेलिंगटन में हुआ था. उनका निधन हुआ तब उनकी उम्र 94 वर्ष थी . सैम मानेकशॉ के साहस, शौर्य तथा वीरता को सभी आज भी याद करते हैं.

सैम मानेकशॉ से जुड़ी रोचक जानकारी

  • सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के प्रथम फील्ड मार्शल हैं.
  • सैम मानेकशॉ को पद्म विभूषण, पद्म भूषण तथा सैन्य क्रांस  पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
  • 7 जून 1969 मे सैम मानेकशॉ ने भारत के आठवें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया.
  • सैम मानेकशॉ ने पाकिस्तान के 90000 से भी ज्यादा सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया था.
  • सैम मानेकशॉ के जीवन पर आधारित फिल्म बन रही है. जिसका नाम ” सैम बहादुर ” रहेगा.
  • सैम मानेकशॉ ने भारत देश की आजादी के बाद देश की सेवा तथा व्यवस्था के लिए बहुत योगदान तथा सहयोग किये.

FAQ

Q. सैम मानेकशॉ का पूरा नाम क्या है?

A. पूरा नाम – सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ 

Q. भारत के पहले फील्ड मार्शल कौन थे?

A. सैम मानेकशॉ 

Q. सैम मानेकशॉ  का जन्म कब हुआ था? 

A. 3 अप्रैल 1914

Q. सैम मानेकशॉ की मृत्यु कब हुई थी? 

A. 27 जून 2008

Q. सैम मानेकशॉ की मृत्यु कैसे हुई थी? 

A. निमोनिया बीमारी के कारण.

Q. सैम मानेकशॉ की पत्नी का नाम क्या है? 

A. पत्नी – सिल्लो बोडे

Q. सैम मानेकशॉ कहा के थे? 

A. पंजाब के अमृतसर में एक फारसी परिवार से.

Q. सैम बहादुर मानेकशॉ को कोनसे पुरस्कार मिले थे? 

A. पुरस्कार – पद्म भूषण, पद्म विभूषण, सैन्य क्रांस, भारत का पहला फील्ड मार्शल.

Q. सैम मानेकशॉ की बिओपिक् मूवी का क्या नाम है? 

A. सैम बहादुर


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