सिद्ध मंत्र (Siddha Mantra)
सिद्ध मंत्र संग्रह गणेश जी मंत्र, कृष्णा भगवान मंत्र, गायत्री मंत्र, लक्ष्मी मंत्र , शनि देव मंत्र Siddha Mantra in hindi . आदि जैसे सभी देवी देवताओं के मंत्र आते हैं हमने नीचे सभी देवी देवताओं के सिद्ध मंत्र को बताया है.
कृष्णा जी का मंत्र – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
ॐ रां रामाय नमः ।
शिव जी का मंत्र – ॐ नमः शिवाय ।
श्री गायत्री मंत्र – 2 ॐ भुभूर्वः स्वः तत्सवितुरवरणेयम् भागों देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात् ।
श्री महामृत्युंजय बीज मंत्र – ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः , ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् ऊर्बारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूँ ह्रौं ॐ । सिद्ध मंत्र साधना
श्री गणेश मंत्र – ॐ गं गणपतये नम:
श्री शिव पंचाक्षर मंत्र – ॐ नमः शिवायः
श्री विष्णु मंत्र – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय :
श्री लक्ष्मी मंत्र – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मै नमः
श्री दुर्गा बीज मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै :
श्री दुर्गा मंत्र – ॐ दुं दुर्गायै नमः
श्री कृष्ण मंत्र – ॐ क्लीं कृष्णाय नमः
श्री शनि मंत्र – ॐ शं शनैश्चराय नमः
श्री सूर्य मंत्र – ॐ घृणि सूर्याय नमः
श्री राम मंत्र – ॐ श्री रामचन्द्राय नमः
श्री हनुमान मंत्र – ॐ श्री हनुमते नमः
श्री माँ नर्मदा मंत्र – श्री नर्मदा देव्यै नमः
श्री सरस्वती मंत्र – ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वतयै नमः
श्री णमोकार मंत्र : – ॐ णमो अरिहंताणं ण्मो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहुण एसो पंच णमोक्कारो सव्व पावप्पणसणो । मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं ।। सिद्ध मंत्र कौन सा है?
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गणेश जी को देवी देवताओं में पहले स्थान पर पूजा और माना जाता है. गणेश जी की पूजा करने से वह बहुत खुश होते है, और हमें मनचाहा वरदान देते है. पूजा से हम कार्य में उन्नति, पढ़ाई में अव्वल आते हैं. इसलिए बुधवार के दिन श्री गणेशजी के प्रमुख १२ नामों का उच्चारण व स्मरण करके दुर्वा चढ़ना चाहिए । इसके लिए सर्वप्रथम सर्वकष्ट निवारक मंत्र “ ॐ गं गणपतये नमः । दूर्वांकुरान् समर्पयामि ॥ ऐसा उच्चारण करते हुए नीचे लिखे १२ नामों का सस्वर उच्चारण करना चाहिए ।
- ( 1 ) सुमुखाय नमः
- ( २ ) एकदन्ताय नमः
- ( 3 ) कपिलाय नमः
- ( 4 ) गजकर्णकाय नमः
- ( 5 ) लम्बोदराय नमः
- ( 6 ) विकटाय नमः
- ( 7 ) विघ्ननाशाय नमः
- ( 8 ) विनायकाय नमः
- ( 9 ) धूम्रकेतवे नमः
- ( १० ) गणाध्यक्षाय नमः
- ( ११ ) भालचन्द्राय नमः
- ( १२ ) गजाननाय नमः ।
श्री गणेश कवज
श्री गणेश कवज का मतलब – Meaning
गणेशजी के इस कवच को जो नित्य दिन पाठ करता है , उसे अनेक प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है । साधक के सभी विघ्नों का नाश होता है । समस्त पापों का नाश करता हुआ यह कवच शत्रु – पीड़ा , ग्रह – बाधा और रोगों से रक्षा करता है । यहाँ विशेष दृष्टव्य है कि प्रतिमास की गणेश चतुर्थी का विशेषकर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेशजी के 21 नामों का उच्चारण करते हुए उन्हें २१ मोदक अर्पण किए जाने पर गणेशजी भक्त पर विशेष रूप से कृपालु होते हैं। गणेश जी की स्तुति
श्री गणेशजी के विविध मंत्र
★ श्री महागणपतिस्वरूप प्रणव – मंत्र – ‘ ॐ ‘ ।
★ श्री महागणपति का प्रणव – सम्पुटित बीज मंत्र – ‘ ॐ गं ॐ ‘ ।
★ सबीज गणपति मंत्र – गं गणपतये नमः ‘।
★ प्रणवादि सबीज गणपति मंत्र – ‘ ॐ गं गणपतये नमः ।
★ नाम मंत्र
( क ) ॐ नमो भगवते गजाननाय । ( द्वादशाक्षर )
( ख ) श्री गणेशाय नमः ( सप्ताक्षर )
( ग ) ॐ श्री गणेशाय नमः अष्टाक्षर )
★ ॐ वक्रतुण्डाय नमः
श्री गणेश जी के इक्कीस नाम
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेशजी के २१ नामों का उच्चारण करते हुए उन्हें २१ मोदक अर्पण किए जाने पर गणेशजी भक्त पर विशेष रूप से कृपालु होते हैं । श्री गणेश के इक्कीस नाम ( १ ) ॐ गणजयाय नमः ( २ ) ॐ गणपतये नमः ( ३ ) ॐ हेरम्बाय नमः ( ४ ) ॐ धरणीधराय नमः ( ५ ) ॐ महागणपतये नमः ( ६ ) ॐ लक्षप्रदाय नमः ( ७ ) क्षिप्रप्रसादनाय नमः ( ८ ) ॐ अमोघ सिद्धये नमः ( ९ ) ॐ अमिताय नमः ( १० ) ॐ मन्त्राय नमः ( ११ ) ॐ चिन्तामणये नमः ( १२ ) ॐ निधये नमः ( १३ ) ॐ सुमंगलाय नमः ( १४ ) ॐ बीजाय नमः ( १५ ) ॐ आशापूकाय नमः ( १६ ) ॐ वरदाय नमः ( १७ ) ॐ शिवाय नमः ( १८ ) ॐ काश्यपाय नमः ( १ ९ ) ॐ नन्दनाय नमः ( २० ) ॐ वाचासिद्धाय नमः ( २१ ) ॐ दुण्दिराजाय नमः । Ganesh Ji ke 21 Name
गणेश जी की कथा (कहानी)
एक बार की बात है जब कौरव – पाण्डवों की सेना युद्ध हेतु सन्नद्ध हुई तो कुन्ती नन्दन युधिष्ठिर ने श्रीकृष्णजी से पूछा कि हे कृष्णजी ! आप बताए कि किस देवता की पूजा से हम निर्विघ्न विजय प्राप्त कर सकेंगे ? श्रीकृष्णजी ने कहा कि आप देवताओं में प्रथम पूजित श्री गणेशजी की पूजा कीजिए । उनकी पूजा से आप अपने राज्य को पा जाएंगे , यह निश्चित है । तब युधिष्ठिर के पूछने पर श्री कृष्णजी ने उन्हें ‘ सिद्ध गणेश व्रत ‘ का संपूर्ण विधि – विधान बताया एवं कहा कि त्रिपुरासुर को मारने के लिए त्रिशूलधारी महादेवजी ने , बत्रासुर के विनाश करने के लिए इन्द्र ने अपने पति गौतममुनि की प्राप्ति के लिए अहिल्या ने , नल की प्राप्ति के लिए दमयन्ती ने , सीताजी की पुनः प्राप्ति के लिए चुनावजी ने , सीताजी के दर्शनों के लिए हनुमानजी ने , गंगाजी को लाने के लिए । भागीरथ ने , समुद्र से अमृत निकालने के लिए देवता तथा दैत्यों ने भी पहले सिद्ध गणेश की ही आराधना की थी और अपने कार्यों में सफलता के भागी हुए थे । जब गरुण ने देहराज के हाथ से अमृत – कलश को छीन । के लाने के लिए स्वर्ग की ओर धावा किया था , जब उसने भी गणाध्य की ही अर्चना की थी । मैंने भी रुक्मिणी हरण करने की इच्छा से भगवान् गणेशजी की ही आराधना की थी , उनके ही प्रसादसे में रुक्मिणी को पा गया । जब सम्बर दानव रुक्मिणी के पुत्र प्रद्युम्न को प्रसूतिकागृह से ले गया तब मैंने और रुक्मिणी ने श्री सिद्ध गणेशजी की पूजा की , उसी के प्रताप से हमको प्रद्युम्न फिर प्राप्त हो गया । तुम भी यदि अपनी जय चाहते हो तो सर्वमंगलकारी सिद्ध गणेश की शीघ्र आराधना करो , क्योंकि गणेशजी की पूजा करने से विद्यार्थी विद्या का , धनार्थी धन का , जयार्थी जय का , पुत्रार्थी पुत्र का , पति की कामना वाली कन्या पति का , सुवासिनी सौभाग्य प्राप्त होता हैं । वैधव्य दुःख से पीड़ित हुई स्त्री यदि श्री सिद्ध गणेश की पूजा करे तो फिर वह जन्म – जन्मांतर में कभी वैधव्य दुःख को नहीं देखती हैं। गणेशजी के पूजन करने पर विष्णु , महादेव , सूर्य , पाती और हुताशन आदि सभी देवता पूज , इसमें सन्देह नहीं है । कहते हैं कि हे मुनिवरों ! भक्तिपूर्वक लकारी सिद्ध गणेश का व्रत करने से ये सब संतुष्ट हो जाते हैं । श्रीकृष्ण भगवान राजा से कहते हैं कि . है गजन युधिष्ठिरण का पूजन करने से तुम संगम में अपने शत्री राज्य – संपत्ति को प्राप्त करोगे । तब राजा युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण द्वारा बताई विधि अनुसार अपने भाइयों सहित त्रिपुरघाती देव के पुत्र श्री सिद्ध गणेश की पूजा की । संग्राम में शत्रुओं को मार अपना राज्य प्राप्त कर लिया । सूतजी शौनकादि मुनियों से कहते हैं कि , जो मन्द प्रारब्ध भी हो पर सिद्धिदाता गणेश का पूजन करे तो उस मन्दभागी के भी मन के विचारे सब कार्य सिद्ध होते हैं । इस पवित्र आख्यान को जो समाहित चित्त से सुनता अथवा सुनाता है , उसके सभी कार्य , श्री सिद्ध गणेश की प्रसन्नता से अवश्य सिद्ध होते हैं । सिद्ध मंत्र इन हिंदी
FAQ Section
Q. सिद्ध मंत्र संग्रह क्या है ?
Ans. सिद्ध मंत्र संग्रह गणेश जी मंत्र, कृष्णा भगवान मंत्र, गायत्री मंत्र, लक्ष्मी मंत्र , शनि देव मंत्र Siddha Mantra in hindi . आदि जैसे सभी देवी देवताओं के मंत्र आते हैं हमने नीचे सभी देवी देवताओं के सिद्ध मंत्र को बताया है.
Q. गणेश जी के 12 नाम कौन कौन से हैं?
Ans. 1 ) सुमुखाय नमः
( २ ) एकदन्ताय नमः
( 3 ) कपिलाय नमः
( 4 ) गजकर्णकाय नमः
( 5 ) लम्बोदराय नमः
( 6 ) विकटाय नमः
( 7 ) विघ्ननाशाय नमः
( 8 ) विनायकाय नमः
( 9 ) धूम्रकेतवे नमः
( १० ) गणाध्यक्षाय नमः
( ११ ) भालचन्द्राय नमः
( १२ ) गजाननाय नमः एकदंताय गौरी पुत्र
Q. गणेश जी के 21 नाम कौन-कौन से हैं?
Ans. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गणेशजी के २१ नामों का उच्चारण करते हुए उन्हें २१ मोदक अर्पण किए जाने पर गणेशजी भक्त पर विशेष रूप से कृपालु होते हैं । श्री गणेश के इक्कीस नाम ( १ ) ॐ गणजयाय नमः ( २ ) ॐ गणपतये नमः ( ३ ) ॐ हेरम्बाय नमः ( ४ ) ॐ धरणीधराय नमः ( ५ ) ॐ महागणपतये नमः ( ६ ) ॐ लक्षप्रदाय नमः ( ७ ) क्षिप्रप्रसादनाय नमः ( ८ ) ॐ अमोघ सिद्धये नमः ( ९ ) ॐ अमिताय नमः ( १० ) ॐ मन्त्राय नमः ( ११ ) ॐ चिन्तामणये नमः ( १२ ) ॐ निधये नमः ( १३ ) ॐ सुमंगलाय नमः ( १४ ) ॐ बीजाय नमः ( १५ ) ॐ आशापूकाय नमः ( १६ ) ॐ वरदाय नमः ( १७ ) ॐ शिवाय नमः ( १८ ) ॐ काश्यपाय नमः ( १ ९ ) ॐ नन्दनाय नमः ( २० ) ॐ वाचासिद्धाय नमः ( २१ ) ॐ दुण्दिराजाय नमः ।
Q. गायत्री मंत्र कौन सा है?
Ans. श्री गायत्री मंत्र 2 ॐ भुभूर्वः स्वः तत्सवितुरवरणेयम् भागों देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात् ।
इन्हें भी देखें
हनुमान चालीसा अर्थ सहित – ” Click here “
नीम करौली बाबा जीवन परिचय – ” Click here “
पंडित प्रदीप मिश्रा जीवन परिचय – ” Click here “
सिद्ध मंत्र संग्रह पीडीएफ – ” Click here “