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श्री हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित। Hanuman chalisa arth sahit meaning in Hindi 2023, Aarti hanuman ji

श्री हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित (हनुमान चालिसा हिंदी)

आज हम आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से भक्ति भंडार लेकर आए जिसमें हम आपको कलयुग के सिद्ध देवता हनुमान जी स्तुति हनुमान चालीसा लेकर आए हैं। Hanuman chalisa arth sahit meaning in Hindi  हनुमान जी को कलयुग में सबसे सिद्ध देवता माना गया हैं। हनुमान चालीसा पढ़ने से दुख, पीड़ा, भय दूर होते हैं। हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और हमारे दुख रोग दूर करते हैं। Hanuman chalisa arth sahit , Hanuman chalisa meaning in Hindi , हनुमान चालीसा , हनुमान चालिसा पाठ, हनुमान चालीसा लिरिस्क, Hanuman chalisa Hindi mein likha hua, हनुमान चालिसा हिंदी 

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      श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित           

श्री हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित। Hanuman chalisa arth sahit meaning in Hindi 2023, Aarti hanuman ji
Hanumaan ji photo

दोहा :

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै।

संकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

दोहा :

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।


दोहा (श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित)        

श्रीगुरू चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।

(श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धुली से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री नागनाथ के निर्माण यस कानन करता हूं तो चारों फल धर्म अर्थ काम और मोक्ष को देने वाला है)

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन-कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहू कलेस बिकार।।

(हे पवन कुमार मैं आपको प्रणाम (याद) करता हूं आप तो जानते हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्मल है मुझे शारीरिक बल सद्बुद्धि और ज्ञान दीजिए और मेरे सभी दुख हुआ दोषों का नाश कर दीजिए) Hanuman chalisa hindi mein 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपिस तिहूँ लोक उजागर।। (Jai Hanuman Gyan gun Sagar Jai kapish tihu lok ujagar)

(श्री हनुमान जी!आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह हैं। हे कपीश्वर!आपकी जय हो!तीनों लोकों, स्वर्ग लोक,भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति फैली है)

राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।। (Ram dut atulit Val dhama Anjani putra Pawan Sud Nama)

(हे पवनसुत अंजनी नंदन आपके समान दूसरा कोई बलवान नहीं है)

महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। (Mahavir Vikram Bajrangi kumati nibar sumathi k sangi)

(हे महावीर बजरंगबली आप विशेष पराक्रम वाले हैं आप खराब बुद्धि को दूर करते हैं और अच्छी बुद्धि वालों के साथी सहायक हैं)

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।। (Kanchan varan viraj subesha Kanan kundal kunchit kesha)

(आप रंग स्वर्ण समान है और सुंदर वस्त्रों कानों में कुंडल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं)

हाथ बज्र औ ध्वजा विराजे। कांधे मूंज जनेऊ साजै।। (Hath bajr aa dhwaja viraje kandhe mujh janeu saje)

(आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कांधे पर मोहन जी के जनेऊ की शोभा है)

शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बंदन।। Sankar suvan kesri Nandan tez Pratap maha jag vandan)

(हे शंकर के अंश शंकर के अवतार है किसी के नंदन आपके पराक्रम और महान यश की वंदना संसार भर में होती है)

विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर।। (Vidhyawan guni ati chatur Ram kaj karibe ko atur)

(आप प्रखंड विद्वान है हे गुणवान हनुमानजी आप श्रीराम का कार्य करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं)

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। (Prabhu Charitra sunibe ko Rasiya Ram Lakhan Sita man basiya)

(आपको श्री राम कथा सुनने में आनंद आता है रस आता है श्री राम जी लक्ष्मण जी सीता जी आपके हृदय में बसे हैं)

सूक्ष्मा रूप धारी सियहि दिखावा। बिकट रुप धरि लंक जरावा।। (Saksham roop dhari sihahi dikhava vikat roop dhari lank jaraba)

(लंका में जब सीता जी के सामने सूक्ष्म रूप में प्रकट हुए लेकिन जब लंका जलाने की बारी आई तो आपने भयानक रूप धारण कर लिया)

भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। (Bhim roop dhari Asur saharan Ramchandra ke kaj savare)

(आप ने विकराल रूप धारण करके सभी राक्षसों को मार डाला और श्री रामचंद्र के सभी उद्देश्यों को सफल किया)

लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुवीर हृषि उर लाये।। (Laya sajivan Lakhan jiyaje shree raghuveer harshi ur laye

(आपने लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए जब संजीवनी बूटी लाई और उनके प्राण बचाए तो श्री रामजी ने हर्षित होकर खुशी से हृदय लगा लिया)

रघुपति किंही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। (Raghupati kinhi bahut badie Tum mam priye bharathi Sam Bhai)

(श्री राम जी ने आप की प्रशंसा की और कहा कि मेरे लिए तुम मेरे भाई भरत के समान ही प्रिय हो)

सहस बदन तुम्हरो जस गावे अस कहि श्रीपति कंठ लगावे।। (Sahas badan tunharon jas gabe aas kahi shreepati Kanth lagabe)

(फिर रामचंद्र जी ने यह कहकर आपको हृदय से लगा लिया कि आपका यश अमूल है)

सनकादिक ब्रह्मादि मुनिसा। नारद सारद सहित अहीसा ।। (Sankadik brahmadi munisha narad Sharad sahitya ahisha)

(तुलसीदास जी कहते हैं कि हनुमान जी जब ऋषि मुनि देवता आपको यश का वर्णन नहीं कर पाते तो मेरे जैसा कोई कवि कैसे आपके गुणों का वर्णन कर सकता है)

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।(Jam Kuber digpal jahan te kavi kobid Kahi sahe kahan te)

(यमराज कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक कवि, विद्वान पंडित या कोई भी आपके यश का पूरा वर्णन नहीं कर सकते)

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।(Tum Upkar sugribihi kinha Ram milaye Raj pad dinha)

(आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वो राजा बने)

तुम्हरों मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।। (Tunharon mantra bhibisan mana lankeshwar bhaye sab jag jana)

(आपके उद्देश का विभीषण जी ने पालन किया जिससे वो लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है)

जुग सहस्त्र योजन पर भानू। लील्यों ताहि मधुर फल जानू।।(Jug sahastra yojan par bhanu liliyon tahi madhur fal janu)

(जो सूरज यहां से सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित है जिस तक पहुंचने में ही हजारों युग लग जाएं उस सूरज को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया)

प्रभु मुद्रिका मेलि माही। जलधि लाघी गये अचरज नाहिं।।(Prabhu mudrika meli mahi jaladhi laghi gye achraj nahin)

(अपने श्री रामचंद्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है)

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।20 (Durgam kaj jagat ke jete sugam anugraha tumhre tete)

(संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते हैं)

राम दुलारे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। (Ram dulare Tum ragbare hot na agya binu peshare)

(श्री रामचंद्र जी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा के बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है)

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।।22(Sab sukh lahe tumhari sarna tum rakshak kahu ko darna)

(जो भी आपकी शरण में आते हैं, उन सभी को आनंद मिलता है, और जब आप रक्षक हैं, तो फिर किसी का डर नही रहता)

आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक ते कांपें।।23 (Apan tez samharon aape teeno lok hank te kapen)

(अर्थात आपके सिवाय आपके वेग को कोई रोक नहीं सकता आपकी गर्जना से तीनों लोग कांप जाते हैं )

भूत पिशाच निकट नहीं आवे।।महावीर जब नाम सुनावे।।(Bhoot pisaach nikat nahi aave mahavir jab naam sunave)

(जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाज पास नहीं फटक सकते)

नासे रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत वीरा।।  (Nase rog hare sab peera japat nirantar hanumat beera)

(वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है)

संकट ते हनुमान छुड़ावे। मन क्रम वचन ध्यान जो लावे।। (Sankat te Hanuman chudave man karam vachan Dhyan jo labe)

(हे हनुमानजी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से दूर करते हैं)

सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा।। (Sab par ram tapasvi Raja tinke kaj sakal tum saja)

(तपस्वी राजा श्री रामचंद्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया)

और मनोरथ जो कोई लावै।। सोई अमित फल पावे।। (Aur manoratha jo koi labe soi Amit fal pabe)

(जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं रहती)

चारों जुग परताप तुम्हारा।है प्रसिद्ध जगत उजियारा।। (Charon jug Partap tumhara hai prasidh jagat ujiyaara)

(चारों युगों सतयुग,त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलयुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है)

साधु संत के तुम रखवारे।असुर निकंदन राम दुलारे।। (Sadhu sant ke Tum raghbare Asur nikandan Ram dulare)

(हे श्रीराम में दुलारे! आप सजन्नों की रक्षा करते हैं और दुष्टों का नाश करते हैं)

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता। (Ashta Sidhi no Nidhi ke data aas bar Janki Mata)

आपको माता जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं)

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।। (Ram rasayan tumhare pasa sada raho Raghupati ke dasha)

(आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के लिए राम नाम औषधि है)

तुमरे भजन राम को पावै।जनम जनम के दुख बिसरा बिसरा वे।।(tumharen bhajan Ram ko pave Janam Janam ke dukh bisrabe)

(आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं)

अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई।। (Anth kal raghuvar pur jai jahan Janam hari bhakt kahai)

(अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे)

और देवता चित्त ना धराई।हनुमत सेई सर्व सुख करई।। (Aur Devta chit na dharai hanumat sei sarv sukh karai)

(हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती)

संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा।। (Sankat kate mite sab peera jo sumren hanumat balveera)

(हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है)

जय जय जय हनुमान गोसाई कृपा करो गुरुदेव की नाई।।(Jai jai jai Hanuman gosain kripa karo gurudev ki nai)

(हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरू जी के समान कृपा कीजिए)

जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदी महा सुख होई।। (Jo sat bar path kar koi chuthi bandi maha sukh hoi)

(जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानंद मिलेगा)

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।(Jo yeh padhe Hanuman chalisa hoi sidhi sakhi gorisha)

(भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वो साक्षी हैं, की जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी)

तुलसीदास सदा हरी चेरा। राम कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।(Tulsidas sada hari chera Ram kije nath hardaye meh dera)

(हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए)

Hanuman chalisa lyrics hindi 

                             दोहा

पवनतनय संकट हरन मंगल मुरति रुप।

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप।।

(हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के रूप हैं! हे देवराज आप श्री राम, सीताजी और लक्षमण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए)


   आरती हनुमान जी की (Aarti Hanuman ji ki)

आरती कीजे हनुमान लला की। दुष्टदालन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांपे।।

अंजनी पुत्र महा बलदाई संतन। के प्रभु सदा सहाई ।।

दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारी सिया सुधि लाए।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई।। लंका जारी असुर सहारे। सियारामजी के काज सवारे।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनी सजीवन प्राण उबारे।।

पैठी पाताल तोरि जम कारे। अहिरावन की भुजा उखारे।। बाएं भुजा असुर दल मारे।दाहिनी भुजा संतजन तारे ।।

सुर नर मुनि आरती उतारे। जय जय जय हनुमान उचारे।। कंचन थार कपूर लौ छाई आरती करत अंजना माई

जो हनुमान (जी) की आरती गावे बसि वैकुंठ परमपद पावे।। (Hanuman Aarti, Aarti kijiye Hanuman lala ki, Aarti sangrah , Hanuman ji Aarti lyrics Hindi)


इन्हें भी देखें 

पण्डित प्रदीप मिश्रा जीवन परिचय (कथावाचक) Click here

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जीवन परिचय (बागेश्वर धाम पण्डित) – Click here

परमहंस योगानंद योगी जीवन परिचय – Click here

जानिए कौन है ? हनुमान जी – Click here

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