पृथ्वीराज चौहान का परिचय
पृथ्वीराज चौहान अजमेर के हिंदू क्षत्रिय राजा थे. बाद में उन्होंने कई राज्यो पर शासन किया था. Prithviraj Chouhan biography in hindi – पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1 जून 1166 में गुजरात में हुआ था. पृथ्वीराज के पिता का नाम महाराजा सोमेश्वर चौहान था, वह राजस्थान में अजमेर राज्य के राजा थे. पृथ्वीराज चौहान जी की मां का नाम कर कमलावती था. पृथ्वीराज चौहान को अंतिम हिंदू सम्राट तथा राय पिथौरा और भरतेश्वर् के नाम से भी पुकारा जाता था. इन्हें शब्दभेदी बाण विद्या भी आती थी. इनकी तलवार, कवच भाला तथा ढाल का वजन मिलाकर 207 किलो था. और इनकी 38 इंच की तलवार थी. पृथ्वीराज चौहान महान पराक्रमी तथा शूरवीर हिंदू राजपूत राजा थे.
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पूरा नाम | पृथ्वीराज चौहान |
जन्म | 1 जून 1166 |
स्थान | गुजरात, भारत |
अन्य नाम | राय पिथौरा, अंतिम हिंदू सम्राट, पृथ्वीराज तृतीय, भारतेश्वर . |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिंदू धर्म |
मृत्यु | 11 मार्च 1192 |
मृत्यु स्थान | अजमेयरू (अजमेर), राजस्थान |
पराजय | मुहम्मद गोरी से |
पृथ्वीराज चौहान परिवार एवं शुरुआती जीवन (Family and Early Life)
- पिता – राजा सोमेश्वर चौहान
- माता – रानी कमलावती
- भाई – हरीराज (छोटा)
- बहन – प्रथा (छोटी)
- संतान – गोविंद राज
- पत्नियां – 13 पत्नियां
पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 में अजमेर के हिंदू क्षत्रिय महाराजा सोमेश्वर चौहान के यहां गुजरात में हुआ था. पृथ्वीराज की मां कमलावती थी. पृथ्वीराज का जन्म इनके माता और पिता के विवाह के लगभग 12 साल बाद हुआ था. कई लोगों ने उन्हें जन्म के समय से ही मारने की कोशिश भी बहुत बार की, परंतु वह नाकाम रहे. पिता की मृत्यु के बाद 13 साल की उम्र में पृथ्वीराज चौहान ने अजमेर की राजगद्दी को संभाला. पृथ्वीराज चौहान का एक छोटा भाई हरिराज चौहान और एक छोटी बहन प्रथा चौहान भी थी. पृथ्वीराज चौहान की 13 पत्नियां थी, इनमें से उनकी सबसे प्रिय रानी संयोगिता थी.
13 पत्नियों के नाम की लिस्ट (13 Wives)
पृथ्वीराज चौहान की 13 पत्नियां थी. इनमें से उनकी सबसे प्रिय रानी – रानी संयोगिता थी. वह रानी संयोगिता से बहुत प्रेम करते थे. रानी संयोगिता के साथ इनके प्रेम के चर्चे आज भी प्रसिद्ध है. Prithviraj Chouhan biography in hindi. 13 पत्नियों की लिस्ट-
- रानी संयोगिता
- जम्भावती
- पडीहारी
- पंवारी इच्छणी
- दाहिया
- जालंधरी
- गूजरी
- बडगुजरी
- यादवी पद्मावती
- यादवी शशिव्रता
- कछवाही
- पूडीरनी
- इंद्रावती
पृथ्वीराज चौहान और रानी संयोगिता की प्रेम की कहानी (Love Story of Prithviraj Chauhan and Queen Sanyogita)
पृथ्वीराज चौहान के नाना अनंगपाल (दिल्ली के महाराजा) की मृत्यु के बाद दिल्ली की राजगद्दी पर पृथ्वीराज चौहान को बैठाया गया. क्योंकि राजा अनंगपाल का कोई भी पुत्र नहीं था, तो पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का युवराज घोषित किया गया. उसी समय कन्नौज पर महाराज जयचंद्र जी का राज था. उनकी पुत्री रानी संयोगिता थी. राजा जयचंद्र, पृथ्वीराज चौहान का पराक्रम तथा यश देखकर उनसे घृणा तथा ईर्ष्या करते थे. एक बार कन्नौज में एक चित्रकार पन्नाराय आया. उसके पास देश के महान पराक्रमी राजाओं के चित्र थे. उन्हीं में से एक चित्र महाराज पृथ्वीराज चौहान का था. जब कन्नौज की लड़कियां ने वह चित्र देखा तो वह देखती रह गई और उनकी सुंदरता का बखान करने लगी. रानी संयोगिता तक यह बात पहुंची, तब रानी संयोगिता अपनी सहेली के साथ उस चित्र को देखने गई. पृथ्वीराज चौहान का चित्र देखकर रानी संयोगिता उन्हें देखती रह गई, और उन्हें उनसे प्रेम हो गया. वहीं पर उन्होंने अपना दिल पृथ्वीराज चौहान को दे दिया. परंतु दोनों का मिलन आसान नहीं था. पृथ्वीराज चौहान तथा जयचंद्र मे दुश्मनी थी. short note on prithviraj chouhan.
चित्रकार ने दिल्ली पहुंचकर पृथ्वीराज चौहान को रानी संयोगिता की बात बताई तथा रानी का चित्र भी बना कर दिखाया. पृथ्वीराज चौहान को भी रानी संयोगिता से प्रेम हो गया. कुछ समय बाद महाराज जयचंद्र ने रानी संयोगिता के लिए स्वयंबर रखा. कई राजाओं को बुलाया गया, परंतु दुश्मनी के कारण राजा पृथ्वीराज चौहान को निमंत्रण नहीं दिया गया. जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान के अपमान के लिए उनकी एक प्रतिमा ( मूर्ति ) बनवाई और उसे द्वारपाल की जगह खड़ा करवाया. जब रानी संयोगिता वरमाला लेकर स्वयंवर मे आई, उन्हें अपना प्रेम (पृथ्वीराज चौहान) कहीं दिखाई नहीं दिया. तब उन्होंने मूर्ति को देखा और जाकर मूर्ति को वरमाला पहना दी और उनका वरण कर लिया . राजा जयचंद ने गुस्से में आकर अपनी पुत्री संयोगिता को गंगा के किनारे एक महल में कैद कर दिया. उसने अपनी सहेली की सहायता से एक ब्राह्मण के द्वारा यह संदेश पृथ्वीराज चौहान तक पहुंचाया. पृथ्वीराज चौहान ने महल जाकर रानी संयोगिता का हरण कर उन्हें ले आए, और उनका दिल्ली में हिंदू रीति-रिवाज से विवाह सम्पन्न हुआ.
(इसी नफरत से राजा जयचंद्र ने मुहम्मद गौरी से मित्रता की थी और दिल्ली पर आक्रमण में मुहम्मद का साथ दिया था.)
पृथ्वीराज चौहान का पराक्रम व युद्ध (War of Prithviraj Chauhan)
पृथ्वीराज चौहान शूरवीर योद्धा थे, और उनकी सेना भी बहुत ज्यादा शक्तिशाली तथा अत्यंत विशाल थी. कई लेखों के अनुसार, उनकी सेना में लगभग 300 हाथी थे और लगभग 3 लाख से भी ज्यादा सैनिक थे. पृथ्वीराज चौहान ने कई युद्ध लड़े और कई राज्यों के राजाओं को भी हराया था. पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद शहाबुद्दीन गोरी के बीच करीब 17 बार युद्ध हुए थे. पृथ्वीराज ने सभी युद्ध में मुहम्मद गोरी को हराया था. परंतु सबसे आखरी युद्ध में मुहम्मद को जयचंद्र का साथ मिल जाने की वजह से मुहम्मद की सेना पृथ्वीराज की सेना से बड़ी हो गई थी, तब पृथ्वीराज मुहम्मद से युद्ध में हार गए थे. मुहम्मद गोरी के साथ के पहले युद्ध को तराइन का पहला युद्ध भी कहा जाता है, क्योंकि यह युद्ध सरहिंद नाम की जगह पर तराइन नामक इलाके में हुआ था. prithviraj chouhan history hindi.
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु (Death of Prithviraj Chauhan)
मुहम्मद गोरी के साथ आखिरी युद्ध में पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद से हार गए थे, क्योंकि महाराजा जयचंद्र ने अपनी नफरत के कारण पृथ्वीराज चौहान से बदला लेने के लिए मुहम्मद गौरी से मित्रता कर ली थी. जिसके कारण मुहम्मद गोरी की सेना और जयचंद की सेना दोनों मिलकर बहुत बड़ी सेना बन गई थी. इसलिए इस युद्ध में मुहम्मद ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया, और पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया था और साथ ही पृथ्वीराज के दोस्त चंद वरदाई को भी कैद कर लिया गया. मुहम्मद के सैनिको ने पृथ्वीराज की दोनों आँखे फोड़ दी थी. परंतु पृथ्वीराज चौहान ने हार नहीं मानी थी.
कुछ दिन बाद चंद वरदाई ने अपनी बातों के जाल में मुहम्मद को अच्छी तरह फंसा कर बातों ही बातों में पृथ्वीराज की प्रशंसा करते हुए, उनके शब्दभेदी बाण मारने की बात छेड़ी. और कहा कि चौहान इस विद्या में निपुण है, चाहे तो आप उनकी यह करामात देख सकते हैं. मुहम्मद को यह देखने के लिए इच्छा हुई और उन्होंने इसकी आज्ञा दे दी. इसके लिए बहुत बड़ा सा अखाड़ा तैयार किया गया. अंधे पृथ्वीराज चौहान को अखाड़े में खड़ा कर दिया गया, और अखाड़े के चारों तरफ 7 तवे लटकाए गए. पृथ्वीराज चौहान को एक धनुष दिया गया, जिससे उन्हें एक सटीक निशाना लगाना था. पृथ्वीराज चौहान ने धनुष पर बाण चढ़ाया और धनुष टूट गया. तब पृथ्वीराज को उनका स्वयं का धनुष दिया गया. मुहम्मद ने उन्हें बाण चलाने की आज्ञा दी, उन्होंने बाण थोड़ा और उनका निशाना पहले तवे पर लगा. तभी उन्होंने दूसरा बाण छोड़ा और मुहम्मद का तालु फाड़ दिया . मुहम्मद वही मृत अवस्था में गिर गए. तभी गुस्से में चारों ओर से मुहम्मद के सैनिकों ने उन्हें घेर लिया तब चंदबरदाई ने अपने कमर से चाकू निकाला और खुद के सीने में घोप लिया और वही चाकू राजा पृथ्वीराज चौहान को दे दिया. पृथ्वीराज चौहान ने भी अपने हाथों से सीने में चाकू घोप लिया और वह दोनों अमर हो गए.
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु की बात जब महल में उनकी पत्नी संयोगिता तथा और सभी रानियों को पता चली, तब अन्य रानियों के साथ रानी संयोगिता ने चिता में अपना देह जलाकर अपने पति का अनुसरण किया, रानियों ने अपने प्राण त्याग दिए और सभी रानियां उस कुंड में अमर हो गई.
पृथ्वीराज चौहान की कुछ रोचक जानकारी
- वह 12 वीं सदी मे उत्तर भारत के अजमेर और दिल्ली के शासक थे.
- पृथ्वीराज के पिता अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान थे.
- 5 वर्ष की आयु में पृथ्वीराज ने अजमेर के विग्रहराज द्वारा स्थापित सरस्वती कंठा भरण विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की थी जो कि वर्तमान में “अड़ाई दिन का झोपड़ा” नामक एक मस्जिद है.
- 13 वर्ष की आयु में पृथ्वीराज ने अजमेर के राज सिहासन को संभाला.
- पृथ्वीराज की सेना में लगभग 300 से ज्यादा हाथी और तीन लाख से ज्यादा महान सैनिक थे.
- पृथ्वीराज के साथ रानी संयोगिता की प्रेम की कहानी आज भी प्रसिद्ध है.
- राजा पृथ्वीराज चौहान की राजस्थान के अजमेर में समाधि भी बनाई गई है.
पृथ्वीराज चौहान की जीवनी पर बनने वाली मूवी (Upcoming Biographi film)
पृथ्वीराज चौहान की जीवनी पर एक बॉलीवुड फिल्म बनाई जा रही है. जिसके अभिनेता अक्षय कुमार और अभिनेत्री मानुषी छिल्लर है. इस फिल्म में पृथ्वीराज चौहान और रानी संयोगिता के प्रेम की कहानी को दर्शाया जाएगा. तथा पृथ्वीराज चौहान के वीर पराक्रम को भी दिखाया जाएगा. यह फिल्म 3 जून 2022 को रिलीज होगी.
फिल्म का पोस्टर – “ Click here “
FAQ – पृथ्वीराज चौहान
Q. पृथ्वीराज चौहान कहाँ के राजा थे?
A. अजमेर तथा दिल्ली
Q. पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
A. 1 जून 1166 – गुजरात, भारत
Q. पृथ्वीराज चौहान की कितने किलो की तलवार थी?
A. तलवार, कवच भाला तथा ढाल का वजन मिलाकर 207 किलो था
Q. पृथ्वीराज की पत्नी संयोगिता की मृत्यु कैसे हुई?
A. अन्य रानियों के साथ रानी संयोगिता ने चिता में अपना देह जलाकर अपने पति का अनुसरण किया और सभी रानियां उस कुंड में अमर हो गई
Q. पृथ्वीराज चौहान का भाला कितने किलो का था?
A. 10 किलो का
Q. पृथ्वीराज चौहान के मित्र का नाम क्या था?
A. चंद्रवरदाई
Q. मोहम्मद गौरी की मृत्यु कैसे हुई?
A. पृथ्वीराज चौहान के बाण से
Q.पृथ्वीराज चौहान के कितने बच्चे थे?
A. 1 संतान – गोविंद राज
Q. पृथ्वीराज चौहान की कितनी बीवियां थी?
A. 13 पत्नियां
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