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श्री दुर्गा चालीसा (Durga chalisa) Durga chalisa in hindi , Durga chalisa lyrics in hindi

श्री दुर्गा चालीसा पाठ- Shree durga chalisa path

आज हम आपको माँ दुर्गा के बारे में बताने जा रहें है. Durga chalisa in hindi– माँ दुर्गा को सनातन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवीयों में माना जाता है. मां दुर्गा की उत्पत्ति इस प्रकार हुई ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्यराज का वध कुमारी के हाथ होगा इसलिए सभी देवताओं ने मिलकर अपने तेज़ से मां दुर्गा की उत्पत्ति करी. माँ दुर्गा को कई नामों से जाना जाता है जैसे-जैसे शैलपुत्री, पार्वती, देवी सती, आदिशक्ति, ब्रह्मचारिणी, कात्यानी, कालरात्रि आदि नामों से पूरे विश्व में जाना जाता है. मां दुर्गा को नवरात्रि के दिनों में काफी पूजा जाता है, नवरात्रि साल में चार बार आती है माह,चैत्र,आषाढ़ और अश्विन लेकिन हमारे भारत में चैत्र और अश्विन की नवरात्रियों को काफी माना जाता है. आइए हम आपको दुर्गा चालीसा बताते हैं-

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श्री दुर्गा चालीसा

 ॥ दोहा ॥

देवि प्रपन्नर्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य ।
प्रसीद विश्वेश्वरिपाहिविश्वं , त्वमीश्वरीदेविचराचराय ।।।

जय दुर्गा भय हारिणी , शिवा सुमंगल रूप । जय अम्बे चंडिका , महिमा अहिम अनूपा ।। नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ।। निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहुँ लोक फैली उजियारी ।। शशिललाटमुखमहाविशाला । नेत्रलालमृकुटिविकराला ॥ रूप मात को अधिक सुहावै । दरशकरत जन अति सुख पावै ।। तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ।। अन्नपूर्णा भई जग पाला । तुम्ही आदि सुन्दरी बाला ।। ॐ प्रलय काल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ॥ शिवयोगी तुम्हरो यश गावैं । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यायें ।।। रूपसरस्वतीकोतुमधारा । देसुबुद्धिऋषि – मुनिनउबारा ।। ॐ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भई फाड़ के खम्बा ।। रक्षा करि प्रहलाद बचायो । हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो । लक्ष्मी रुप धरो जगमाहिं । श्री नारायण अंग समाहिं ।। क्षीर सिंधु में करत विलासा दया सिन्धु दीजे मन आसा ।। हिंगलाज में तुम्ही भवानी महिमा अमित न जात बरवानी ।। ॐ मातंडी धूमावती माता भुवनेश्वरी बगला सुखदाता ।। श्री भैरवतारा जगतारिणि । छिन्नभाल भवदुःखनिवारिणी ।। केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ।। कर में खप्पर खड्ग विराजे जाको देख काल डर भाजै ।। सोहे अस्त्र और त्रिशूला जाते उठत शत्रु हिय शूला ।। नगरकोट में तुम्ही विराजत तिहूँ लोक मे डंका बाजत ।। ॐ शुम्भ – निःशुम्भ दैत्य तुम मारे । रक्त बीज शंखन संहारे ।। ॐ महिषासुरनृपअतिअभिमानी । जेहिअधमारमही अकुलानी ।। रूप कराल कालिका धारा । सैन सहित तुम तिहि संहारा ।। ॐ ॐ ॐ परीगाढ़ संतनपरजब – जब भईसहायमातुतुमतब – तब ।। ॐ अमरपुरी अरूबासबलोका । तब महिमासबरहे अशोका ।। ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी तुम्हें सदा पूजें नर – नारी ।। प्रेमभक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नही आवे ।। ॐ ध्यावैतुम्हेजोनरमनल्याहिं । जन्ममरणसेसोछुटिजाहिं । । योगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न होय बिनु शक्ति तुम्हारी ।। शंकर आचारज तप कीनों काम क्रोध जीत सब लीनो ।। निशिदिनध्यानधरों शंकरको काहुकालनहिं सुमिरोतुमको ।। शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछतायो ।। शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जै जै जै जगदम्ब भवानी ।। भई प्रसन्न आदि जगदम्बा दई शक्ति नही कीन विलम्बा ।। ॐ मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।। आशा तृष्णा निपट सतावै । मोह मदादिक सब विनशायें ।। शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरो इक चित्त तुम्हें भवानी ।। करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि सिद्धि दे करहु निहाला ।। जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ । तुम्हारो जस में सदा सुनाऊँ ।। दुर्गा चालीसा जो नर गावै । सब सुख भोग परम पद पावे ।। ॐ देवी दास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।। जय जय जय जगदम्बिके , तुम सम और न कोई ।। भक्ति तुम्हारी दुःखहरण सो अब दीजे मोई ।। ( इति श्री दुर्गा चालीसा )

आरती दुर्गा जी की

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी

durga ji ki aarti image
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FAQ Section

Q. श्री दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करें ? 

Ans. श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले सुबह से स्नान करके भगवान के सामने दीया जलाकर और फूल धूप दिखाकर आप शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं।

Q. श्री दुर्गा चालीसा कब पढ़नी चाहिए ? 

Ans. श्री दुर्गा चालीसा आप कभी भी कर सकते हैं जैसे सुबह शाम पर ध्यान रहे की अपने स्नान किया हुआ हो।

Q. श्री दुर्गा चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है ? 

Ans. शिव चालीसा पढ़ने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है मन स्थिर रहता है.

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