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मेसोपोटामिया का इतिहास, (सुमेर, बेबीलोन, असीरिया, कोल्डिया की सभ्यता)। विकास, कब  कैसे और किन लोगों ने किया?

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मेसोपोटामिया का इतिहास (3200- 600ई)

ईरान (फारस) की खाड़ी के उत्तर में जो आधुनिक ईराक प्रदेश है। उसको इतिहासकारों ने मेसोपोटमिया नाम दिया –  मेसोपोटामिया का मतलब (अर्थ) है नदियों के बीच की भूमि। मेसोपोटामिया का इतिहास, (सुमेर, बेबीलोन, असीरिया, कोल्डिया की सभ्यता)। विकास, कब  कैसे और किन लोगों ने किया? वास्तव में उत्तर पश्चिम से आती हुई दो नदियां यूफ्रेटीज (दजला) और टाईग्रीस (फरात) फारस पारस की खाड़ी से गिरती है। किंतु प्राचीन काल मे आज से लगभग आज 5- 10 हजार वर्ष पूर्व यह दोनों नदियां गिरती थी और इन दोनों नदियों के बीच में भी काफी लंबी चौड़ी जगह थी। यही मुहानो के बीच की जगह प्राचीन काल में “सुमेर” कहलाती थी। मेसोपोटामिया की सभ्यताएं(सुमेर, बेबीलोन, असीरिया, केल्डिया की सभ्यता) जिसमें प्राचीन काल के प्रसिद्ध नगर निपुर,उर, इरीदु इत्यादि बसे हुए थे,उस समय फारस की खाड़ी का पानी भी आज की अपेक्षा ऊपर तक फैला हुआ था। इन हजारों वर्ष मे दोनों नदियां अपनी मिट्टी से समुद्र को पाटती रही और फारस की खाड़ी की सीमा भी बदल गई।सुमेर प्रदेश से आगे उत्तर में प्राचीन काल मे अक्काद प्रदेश था,जिसकी राजधानी बेबी लोन थी, उससे भी आगे बढ़कर असीरिया प्रदेश था जिसकी राजधानी असुर थी। सुमेर अक्काद और असीरिया यह तीनों प्रदेश सम्मिलित रूप में मेसोपोटामिया कहलाते है। और तीनों प्रदेशों की प्राचीन सभ्यताएं कालक्रम कालक्रम में सबसे पहले सुमेर,सुमेर के बाद बेबीलोन के बाद असीरिया और फिर केल्डिया जाति जाति के लोगों का दूसरा बेबीलॉन साम्राज्य इस प्रकार है। यह सब प्राचीन मेसोपोटेमिया की सभ्यता मानी जाती है। इसमें साम्राज्य काल तो पिछले ढाई 3000 बरसों का रहा।

मेसोपोटामिया का इतिहास, (सुमेर, बेबीलोन, असीरिया, कोल्डिया की सभ्यता)। विकास, कब  कैसे और किन लोगों ने किया
मेसोपोटामिया की चित्रकारी

मेसोपोटामिया का विकास कब और कैसे हुआ और किन लोगों ने किया??

आज से लगभग 10 से 12 हजार वर्ष पूर्व स्पेन के पश्चिम छोर से लेकर प्रशांत महासागर तक इटली, शिलालेख प्राप्त हुए इनमें से अधिकतर शिलालेख उस समय के लोगो के निजी “लेख संग्रहालय”के हैं यह प्राचीन दुनिया में प्राय एक ही साथ 4 संस्कृतियों का विकास होता है दजला और फरात की नदियों की घाटी में,सुमेर और बेबीलोन सभ्यता का नील नदी की घाटी में, मिस्र की सभ्यता का भारत में सिंधु नदी घाटी में, सिंधु सभ्यता का। मेसोपोटामिया मे यदि पत्थर नहीं था,तो वहां इस प्रकार की मिट्टी थी जो सूर्य की गर्मी से पक कर पक्की ईट की तरह बन जाती थी इन नदियों की घाटियों में खूब घास पैदा होती थी अन्न के उत्पादन के लिए 12 महीने सिंचाई का साधन था।

 मेसोपोटामिया सभ्यता की विशेषताएं

मेसोपोटामिया ( सुमेर,बेबीलोन, असीरीया,केल्डिया) सभ्यता के प्रारंभ में कुछ छोटे-छोटे नगर राज्य थे।इस प्राचीन सभ्यताओं का आरंभ ही मानो मंदिर के साथ साथ हुआ। मंदिरों में अद्भुत शक्ल सूरत वाले देवताओं की मूर्तियां होती थी,यह मूर्ति या तो स्वयं देवता मानी जाती थी। लोग बाग इन मूर्तियों को देवताओं के प्रतीक समझते थे। कृषि से सभ्यता का आरंभ हुआ, इनके देवता सूर्य देवता,प्रकृति देवी थे। लोगों का पूरा जीवन देवताओं,पुरोहितों और मंदिरों में ही सीमित था। मेसोपोटामिया की सभ्यता और संगठित राज्य की स्थिति प्राय 6000 ईसा पूर्व तक, इस प्रकार लगभग 5 से 6 हजार वर्ष तक अनेक बड़े-बड़े महल मंदिर,उद्यान,सड़कें इत्यादि बनाई व्यापार बढ़ाया कला कौशल विद्या साहित्य की उन्नति की जनसाधारण लोगों के जीवन का तरीका वहीं था खेती करना, गरीबों में रहना और शासक को लगान चुकाना, जो कारीगर शिल्पी लोग थे। वह सम्राटों पुरोहितों और अन्य धानियो के लिए मकान,महल ,मंदिर बनाने में लगे रहते थे,उनको सजाने के लिए लकड़ी, धातु ,हाथी दांत, मिट्टी इत्यादि की कलापूर्ण वस्तु बनाते रहते थे। गेहूं जो मक्का की खेती होती थी अनाज हाथ से पिसा लिया  करते थे। और ईट के चूल्हों पर रोटियां पकाई जाती थी,खजूर व फल भी पैदा होते थे, भेड़ बकरी का पालन होता था ऊन कपड़े बनते थे। रूई के कपड़े भारत में एवं रेशम के कपड़े चीन से आते थे इन लोगों की सबसे सुंदर व समृद्ध कला मिट्टी के बर्तन की थी जिन पर सुंदर पोलिस होती थी और चित्रकारी,खेती ,खजूर, ऊन और मिट्टी के बर्तन ,यही वस्तुएं समृद्धि का आधार थी। स्त्रियों का समाज में उच्च स्थान था।

सुमेर की सभ्यता

सुमेर की सभ्यता का विकास सुमेरियन लोगों ने किया था। जो आज लुप्त है। कौन थे यह सुमेरियन लोग, कहां इन का उद्गम था?? यह लोग आर्य, सेमेटिक, मंगोल, निप्रो उपजातियों से आज ही लोग थे,इन उप जातियों से इनका सीधा संबंध नहीं था। यह भूरिया गहरे बदामी ब्रूनेट के लोग थे जो नवपाषाण युग से पश्चिम स्पेन से लेकर पूर्व में प्रशांत महासागर तक भूमध्य सागर तटीय प्रदेशों में फैले हुए थे, पर कुछ विद्वानों की राय है की सिंधु (भारत) से ही कुछ लोगों ने मेसोपोटामिया जाकर आज से 7000 वर्ष लगभग पूर्व सुमेरी सभ्यता का जन्म दिया था। मेसोपोटामिया मैं पहले ही नवपाषाण युग के भूरे रंग के लोग बसे हुए थे। उन्हीं में सिंधु लोग के संपर्क से संगठित सभ्यता का विकास हुआ था। तो यह सिंधु लोग कौन थे? यह वही लोग थे जिनमें प्राचीन सिंधु मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का विकास हुआ था इनमें कोई संदेह नहीं है कि सिंधु सभ्यता और सुमेर बेबीलॉन की सभ्यता बहुत मिलती जुलती है। सुमेर की सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यता है। प्राचीन मेसोपोटामिया मैं प्रथम राजवंश साम्राज्य की स्थापना की एवं इसके नाम के कारण इसे राजवंश का सारगोमित काल भी कहा जाता है जो लगभग डेढ़ सौ वर्ष तक रहा।

सुमेर की सभ्यता
सुमेर सभ्यता की क्यूमीफर्न भाषा

 बाबिल काल से पहले का युग (3500-2600ई.पू)सुमेर सभ्यता का समय ईसा से 3500वर्ष पूर्व माना जाता है। सुमेर के प्राचीन लोगों ने पहले गांव बताएं और फिर यही गांव ग्राम विकसित होकर नगर बने। कई नगरों के अवशेष मिले हैं जिनमें नूपुर, निनेवह प्रमुख है। इन नगरों में पक्की हुई ईटों से सुंदर सुंदर चमकदार मकान बने हुए थे। मिट्टी के अनेक प्रकार के सुंदर-सुंदर बर्तन एवं मूर्तियां इस काल में उत्पन्न हुई है, शुरुआत में प्रत्येक नगर का शासन अलग अलग था, वास्तव में यह छोटे नगर राज्य थे। इन नगरों में राजा होते थे, मंदिरों के पुजारी वेद जादू टोना करने वाले ही लोग राजा होते थे। प्रत्येक नगर का एक मुख्य देवता होता था, धर्मगुरु एवं नगर का शासक एक ही व्यक्ति होता था . सुमेर सभ्यता का विकास- नदियों में से नहरे निकलकर अपने अपने खेतों में सिंचाई करते थे, गेहूं जौ की खेती मुख्य होती थीं।गाय ,बैल, भेड़ बकरी इन लोगों के पालतू जानवर थे, घोड़े से यह लोग परिचित नहीं थे। इनकी विचित्र एक चित्र लेखन कला थी मिट्टी की छोटी-छोटी पट्टियों पर अपने चित्र लिपि के चित्र कुरे देते थे, वह मिट्टी की पट्टीयो को बाद में पका ली जाती थी ,इन प्रकार से उनके लेख सुरक्षित रहते थे। इनकी भाषा को क्यूमीफर्न भाषा (cumeifern) कहा जाता था। अंत में इरेज़ नगर राज्य के राजा पुरोहित ने समस्त सुमेर प्रदेश को मिलाकर एक साम्राज्य बना लिया था।जो पारस की खाड़ी से पश्चिम भूमध्य सागर तक फैला हुआ था ।पृथ्वी पर वह  प्रथम संगठित साम्राज्य था।

बेबीलोन की सभ्यता,

बेबीलोन प्राचीन मेसोपोटामिया का एक नगर था। सुमेर प्रदेश के सभी नगर स्थित थे,उसी समय अरब रेगिस्तान की इस सेमेटिक जातियां इधर उधर घुमक्कड़ लोगों की तरह घूमती थी,इन्हीं जातियों की जाति की अक्काद जाति के एक सरदार जिनका नाम (साग्रन) था।सुमेर पर हमला किया और वही अपना राज्य स्थापित किया। साग्रन जिसका ऐतिहासिक काल अनुमान से (2750 ईसा पूर्व) माना जाता है,सुमेरियन लोगों की सभ्यता लिपि,भाषा,देवपूजा इत्यादि विजेताओं ने अपना ली। इस वंश के राजा जैसे ही कमजोर हुए तो सेमट्रिक लोगों ने एक अन्य जाति से इस प्रदेश में हमला किया और बेबीलोन नाम का एक सुंदर नगर बसाया,एवं उसका साम्राज्य बेबीलोन साम्राज कहलाता है। इस जाति का प्रसिद्ध राजा हम्मूरबी हुआ. जिसका का लगभग 2100 ईसा पूर्व अनुमानित किया है। बेबीलोन इतिहास का प्रसिद्ध वह स्थान है, जहां विश्व के विजेता सिकंदर की मृत्यु हुई थी। बेबीलोन के झूलते भाग जिन्हें सेमीरमीस के बाग भी कहा जाता है। विश्व के सात अजूबे सात अजूबों में से एक है। बेबीलोन का विकास एवं कानून व्यवस्था – इस राज्य काल में व्यापार की बहुत अधिक उन्नति हुई, शासन के संगठित नियम एवं कानून सम्राट ने बनाए इतिहास में यही सर्वप्रथम राजा था,जिसने शासन संबंधी एवं व्यक्तित्व के सामाजिक व्यवहार संबंधी कानून बनाए। इस शासन काल मे कई बड़े-बड़े राज्य बस से कई पत्रों के अतिरिक्त पत्थर का एक लंबा टुकड़ा भी मिला जिस पर हम्मूराबी का शासन कानून लिखे हुए थे पत्थर में जो कानून खुदे हैं उनमें से कुछ इस प्रकार थे-

  • यदि कोई पुत्र अपने पिता को पीटे तो उसका हाथ काट देना।
  • जो किसी की आंख फोड़े तो उसकी आंख फोड़ दी जाए।
  • नहरों को खराब करने वालों को कड़ी सजा दी जाए।

यह सामाजिक व्यवस्था बहुत ही संगठित एवं विकसित थी तृतीय(तीन)श्रेणी के लोग समाज में थे। उच्च वर्ग- जिनमें पुरोहित पुजारी शासन करता राज्य कर्मचारी लोग थे। मध्यमवर्ग- जिसमें व्यापारी थे। गुलाम-जिसमें जिसमें खेतिहर मजदूर नौकर थे। ऐसा भी अनुमान होता है कि स्त्रियों की स्थिति बहुत ऊंची थी, स्त्रियां बहुधा व्यापार भी करती थी। व्यापार, बैंकिंग (लेन देन)खेती, सिंचाई के लिए नहरे एवं नगरों की स्वच्छता के लिए नालियां इत्यादि इन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता था। हम्मूराबी की मृत्यु के बाद साम्राज फिर बिखर गया था।1500 ईसा पूर्व इस साम्राज्य की अवनति होनी शुरू हो गई थी। बेबीलॉन की प्राचीन भाषा भी समाप्त हो गई बेबीलोन के लोगों ने सुमेरिया की लेखन कला को अपना कर उसे अधिक उन्नत कर लिया था।मिट्टी की पट्टी पर धातु कलमो लिखा जाता था। इस प्रकार पुस्तक लिखी जाती वह मंदिरों में रखी जाती थी उस काल का एक महाकाल मिला जो “गिलगामिश” महाकाल नाम से प्रसिद्ध है। बेबीलोन में गणित ज्योतिष इतिहास चिकित्सा शास्त्र का विज्ञान था जिससे सीरिया अरब और ग्रीस के लोग प्रभावित हुए।।

असीरिया की सभ्यता

 जब बेबीलोन साम्राज्य खत्म हो रहा था, तो टाईग्रिस ,यूफ्रीटीज इन दो नदियों की घाटी के उत्तर भाग मे एक नए राष्ट्र का मुख्य नगर असुर था।जिससे इस राज्य का नाम असिरिया हुआ। असुर पहले एक छोटा सा नगर असुर था। यहां के निवासियों ने बेबीलोन की सभ्यता से ही काल गणना लेखन कला मूर्तिकार एवं सभ्यता की अन्य बातें सीखी असीरियन लोगों ने सीरिया इजराइल जूडियां एवं मिस्र साम्राज्य से भी कई भागों पर कुछ काल के लिए विजय प्राप्त की एवं अपना एक महान असीरियन साम्राज्य स्थापित किया इस साम्राज्य में सबसे पहला सम्राट साग्रन द्वितीय था जिसका काल (722-725)ईसा पूर्व माना जाता है साग्रन के पुत्र सेना करीब (705-651) ईसा पूर्व में प्रसिद्ध बेबीलॉन नगर को तो नष्ट कर दिया। फिर नया नगर बसाया जिसका नाम निनेवेह था। इसी नगर को सेनाकरीब ने असीरियन साम्राज्य की राजधानी बनाया इसी नगर में सम्राट ने बहुत बड़ा महल बनाया सेनाकरीब सम्राट का पुत्र असुरबनीपाल बड़ा विद्या प्रेमी था अपने राज्य काल में उसने एक विशाल पुस्तकालय बनवाया और जितने भी मिट्टी की पट्टियों पर प्राचीन लिखित लेख एवं पत्र (documents) मिले वह सब उसने अपने पुस्तकालय में रखें।

असीरिया की सभ्यता,
असीरिया की सभ्यता

सेना करीब द्वारा निर्मित महल में लगभग तीन लाख मिट्टी की  पट्टियों पर लिखित काल के धार्मिक,साहित्यिक,वैज्ञानिक, लेख मिले हैं। ये पट्टियों अब ब्रिटिश म्यूजियम, लंदन में सुरक्षित है इस प्रकार असुरबनीपाल का राज्य ज्ञानोदय का राज्य था। असीरियन राज के विद्रोह विरुद्ध चलते ही रहते थे इसी प्रकार 606 ईसा पूर्व में असीरियन लोगों का साम्राज्य दक्षिण की ओर से बढ़कर आती हुई  सेमेटिक लोगों की केल्डिया(खाल्दी)नामक एक जाति द्वारा अंत किया गया। ऐसा एक विवरण यहूदी लोगो की प्राचीन धर्म पुस्तक प्राचीन बाइबल (old testament) मे आता है

केल्डिया की सभ्यता (खल्द)

 इस साम्राज्य का सबसे महान सम्राट नेबूकाड्राजार (nebuchadrazzar)था।जिसने असीरियन साम्राज्य काल में पुराने बेबीलोन नगर को फिर से बनवाया और उसे अपने साम्राज्य की राजधानी चुना। सम्राट का शासन काल (604-561) ई.पू था। पड़ोस की सब छोटी छोटी जातियाँ को जीतकर इस सम्राट ने अपने अधीन किया जुडिया के यहूदी लोगों को वहां से हटाकर वह अपनी राजधानी बेबीलोन में ले गया और वहां उनको बसाया। सम्राट ने बेबीलोन नगर को बहुत सुंदर और समृद्ध किया, नगर में बहुत विशाल और सुंदर महल बनवाया।इतना सुंदर कि जितना मेसोपोटामिया में किसी सम्राट के राज्य काल में नहीं नही था। अपनी स्त्री को प्रसन्न करने के लिए उसने संसार प्रसिद्ध झूलतेबाग (Hanging garden) भी बनवाया।

 झूलतेबाग (Hanging garden) – प्राचीन  बेबीलोन के लोग अनेक देवी देवताओं को पूजते थे,देवताओं के सुंदर-सुंदर विशाल मंदिर बनवाए जाया करते थे, जिसमें बड़े बड़े पुजारी लोग रहते थे। बहुधा शासक या सम्राट ही प्रधान पुरोहित होता था बेबीलोन के सम्राट नेबूकाड्राजार (Nebuchadrazzar) ने एक बहुत विशाल स्थम्भशैली(Towerlike) का मंदिर बनवाया। यह मंदिर बहुत ऊंचा था।प्रत्येक खंड के बाजू में सुंदर-सुंदर पुष्पित पौधे वृक्ष एवं उद्यान लगाए गए थे,यह झूलते बाग प्राचीन काल की दुनिया के सात आश्चर्यजनक चीजों में से एक है. लोगों को 12 राशियों का ज्ञान था – मार्क्स,विनस,मरकरी एवं सनी आदि ग्रहों का ज्ञान था।

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