शिव चालीसा पाठ- Shiv chalisa paath
आज हम आपको देवो के देव महादेव के बारे में बताने जा रहें है Shiv chalisa in hindi भगवान शिव को सनातन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में माना जाता है। भगवान शिव की उत्पति कब और कैसे हुई थीं इस बात की जानकारी किसी को नही है। भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है जैसे देवो के देव महादेव, शंकर, अघोरी, रुद्र, महेश, नीलकंठ, गंगाधर आदि नामों से पूरे विश्व में जाना जाता है। आइए हम आपको शिव चालीसा हिंदी अर्थ सहित बताते हैं
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श्री शिव चालीसा
॥ दोहा ।
जय गणेश गिरिजा सुवैन,मंगल भूल सुजान
कहत अयोध्यादास तुम,देव अभय वरदान ॥
जय गिरजापति गिरजापति दीनदयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नाग फनी के ।। अंग गौर शिर गंग बहाय। मुण्डमाल तन क्षार लगाये।।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे।।
मैना मातु कि हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।
कर त्रिशुल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहैं तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ।।
देवन जबहीं जबहीं पुकारा। तबहीं दुःख प्रभु आप निवारा।।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुम्हीं जुहारी।।
तुरत षडानन आप पठाय । लव निमेष महं मारि गिरायऊ ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । तबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरव प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहिं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ।।
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ प्रगटे उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भये विहाला ॥
कीन्ही दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ।
रामचन्द्र पूजन जंब कीन्हां ।जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नैन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।करत कृपा सबके घटवासी।।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावैं ।भ्रमत रहौं मोहे चैन न आवैं ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यह अवसर मोहि आन उबारो ॥
ले त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट में मोहिं आन उबारो ॥
मात – पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई।।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा ही । जोई कोई जाँचे सो फल पाहीं ॥ अस्तुति केहि विधि करें तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगि यति मुनि ध्यान लगाव । नारद शारद शीश नवावें ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाए ।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत हैं शम्भु सहाई ॥
ऋनियाँ जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥ पुत्र होन की इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।
पंडित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे।।
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। तन नहिं ताके रहै कलेशा ।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ।।
जन्म- जन्म के पाय नसावे। अंत धाम शिवपुर में पावे।।
कहें अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी ।।
॥दोहा ॥
नित नेम उठि प्रातः ही , पाठ करी चालीस।
तुम मेरी मनोकामना पूर्ण करो जगदीश।।
मगसर छठि हेमन्त ऋतु , संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि । पूर्ण कौन कल्याण।।
आरती शिव जी की
जय शिव ओंकारा ,भज शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे । जय
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन सोहे ।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे । जय
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोह्रै भाले शशिधारी ।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। शशिधारी । जय अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे । जय
कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखहारी दुखहारी जगपालन कारी । जय -ॐ
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ।
जय त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पत्ति पावे।। जय
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FAQ Section
Q. शिव चालीसा का पाठ कैसे करें ?
Ans. शिव चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले सुबह से स्नान करके भगवान के सामने दीया जलाकर और फूल धूप दिखाकर आप शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
Q. शिव चालीसा कब पढ़नी चाहिए ?
Ans. शिव चालीसा आप कभी भी कर सकते हैं जैसे सुबह शाम पर ध्यान रहे की अपने स्नान किया हुआ हो।
Q. शिव चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है ?
Ans. शिव चालीसा पढ़ने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है मन स्थिर रहता है और मन में
क्या हम रोज शिव चालीसा पढ़ सकते हैं ?
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