जगन्नाथ मंदिर का परिचय – jagannath mandir introduction
आज हम आपके यहां पर जगन्नाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. jagannath mandir rahasya in hindi – हमारा देश भारत जो रहस्यों से भरा देश है. इस देश की सभ्यता जितनी पुरानी लगभग उतने ही पुराने यहां के मंदिर है. ऐसा ही एक जगन्नाथ मंदिर है. जिसकी स्थापना 12 वीं शताब्दी में हुई थी और इसके निर्माता कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव है. हजारों साल से अपनी जगह पर खड़े मंदिर कई राज अपने अंदर छुपा के बैठे हैं. भारत में मौजूद कोई भी मंदिर ऐसा नहीं है जिससे जुड़ा कोई रहस्य वैज्ञानिक हो या फिर आम आदमी की चर्चा का विषय ना हो. आज हम आपको जगन्नाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य जानकर आप चौंक जाएंगे.
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Table of Contents
मंदिर का पूरा नाम – पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर |
देवता – भगवान जगन्नाथ (श्री कृष्ण के रूप) |
स्थान – पुरी, उड़ीसा |
स्थापना – 12वीं शताब्दी |
शैली का नाम – कलिंग वास्तु |
निर्माता का नाम – कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव |
दरअसल दोस्तों हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा का बड़ा ही महत्व है. आज हम इन चार धाम में से एक उड़ीसा के समुद्र तट के किनारे बसे पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर से जुड़े रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं. यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं. 800 साल से भी पुराने इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं.
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जगन्नाथ मंदिर कहां स्थित है
जगन्नाथ मंदिर श्री कृष्ण को समर्पित है. यह भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित है. जगन्नाथ मंदिर एक हिंदू मंदिर है. जगन्नाथ शब्द का अर्थ “जगत के स्वामी” होता है. जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में स्थित है इसलिए इन्हें पूरी के भगवान जगन्नाथ के नाम से भी जाना जाता है. जगन्नाथ का दूसरा नाम जग के नाथ भी है. जगन्नाथ मंदिर में श्री कृष्ण ही भगवान जगन्नाथ के रूप में विराजमान है. यहां उनके साथ उनके जेष्ठ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा भी है. जिनकी मूर्तियां कास्ट की बनी हुई है और यह आज भी अधूरी है.
जगन्नाथ मंदिर के रहस्य
- जगन्नाथ मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देती है – दोस्तों कहने को तो यह मंदिर समुद्र के किनारे पर बसा है. लेकिन मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज किसी को भी सुनाई नहीं देती है. जब की समुद्र पास मैं ही है. लेकिन आप मंदिर से एक कदम बाहर निकलेंगे वैसे ही समुद्र की लहरों की आवाज आपको सुनाई देने लगती है. बाकई यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है. इस पवित्र मंदिर की हर जगह किसी न किसी रहस्य से जुड़ी हुई है.
- जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. लेकिन इसका रहस्य आज पता नहीं चल पाया है.
- जगन्नाथ मंदिर में कभी भी प्रसाद की कमी नहीं होती है – मंदिर में प्रतिदिन चाहे कितने भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आए मगर प्रसाद की मात्रा कभी घटती नहीं है. हर समय पूरे साल के लिए भंडार भरा रहता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के प्रसाद से यहां हजारों लोगों से लेकर लाखों लोगों को भरपेट भोजन खिलाया जाता है. चाहे श्रद्धालु की संख्या कितनी ही क्यों ना हो मंदिर के अंदर पकाए जाने वाला प्रसाद कभी भी कम नहीं होता है. दोस्तों इसके पीछे भी एक रहस्य है. दरअसल इस मंदिर की रसोई भी सबको हैरान कर देती है. यहां भक्तों के लिए प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है की सबसे ऊपर रखे बर्तन में प्रसाद सबसे पहले पकता है. फिर नीचे की तरफ एक के बाद एक बर्तन में रखा प्रसाद पकता है. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि यहां हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के बीच कभी काम नहीं पड़ता, यहां के विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए 500 यह लगे रहते हैं. जिनके लिए अलग से 300 सहयोगी काम करते हैं. यानी कि करीब 800 लोग मिलकर महाप्रसाद तैयार करते हैं. कहां जाता है कि मंदिर का प्रसाद तभी खत्म होता है. जब मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं.
- जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद जमीन पर बैठकर ही खाया जाता है. जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद की ऐसी महिमा है कि अगर कोई प्रसाद मांगे तो उसे मना नहीं कर सकते हैं.
- जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई भी पक्षी नहीं उड़ाता है. मंदिर के ऊपर से एयरप्लेन उड़ाना प्रतिबंधित है.
- जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल में मूर्तियां बदली जाती है.
- जगन्नाथ पुरी की मूर्ति में आज ही श्री कृष्ण का दिल धड़कता है.
- जगन्नाथ पुरी की मूर्ति बदलते समय पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांध लेते हैं.
- जगन्नाथ पुरी की तीसरी सीढ़ी पर यमराज का वास होता है.
- जगन्नाथ पुरी की तीसरी सीढ़ी का रंग काला है.
जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी का रहस्य
जगन्नाथ मंदिर में कई सीढ़ियां है. और हर सीढ़ी का अपना अलग-अलग महत्व है. लेकिन तीसरी सीढ़ी का ऐसा रहस्य है जो आज भी बहुत कम लोग जानते हैं. मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन करके लोग पाप मुक्त होने लगे थे. यह देखकर यमराज भगवान जगन्नाथ के पास गए और कहां की भगवान आपने पाप मुक्ति का बहुत ही सरल उपाय बता दिया है .जिसकी वजह से सभी पाप मुक्त हो रहे हैं. और कोई भी यमलोक नहीं आ रहा. यमराज की यह बात सुनकर भगवान जगन्नाथ बोलते हैं कि आप मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करें. जो यमशिला के नाम से जानी जाएगी. जो कोई भी व्यक्ति मेरे दर्शन के बाद यमशिला पर पैर रखेगा उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाएंगे. और उसको यमलोक जाना ही पड़ेगा. लेकिन आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है भगवान ने पहले ही सारी व्यवस्था कर रखी है. इस शिला की पहचान की बात करें तो यह काले रंग की है. और बाकी सीढ़ी से इसका रंग बिल्कुल अलग है.
जगन्नाथ पुरी की यात्रा
कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन देवी सुभद्रा ने एक बार नगर देखने के लिए इच्छा जाहिर की, इसके बाद भगवान जगन्नाथ जी और उनके बड़े भाई बलदाऊ अपनी बहन सुभद्रा के साथ रथ पर बैठकर नगर घूमने गए. इसके बाद वह गुंडिचा भी गए और 7 दिन तक वहां रुके. तभी से रथ यात्रा निकालने की परंपरा शुरू हो गई. जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा उड़ीसा के पुरी शहर में मनाने जाने वाला एक वार्षिक त्यौहार है. त्योहार से पहले भगवान जगन्नाथ भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए का रथों का निर्माण लकड़ी से किया जाता है. और बहुत ही खूबसूरती से सजाया जाता है. रथ यात्रा के दिन पूरी के राजा गजपति महाराज सोने की झाड़ू के साथ रथों को साफ करते हैं. और प्रार्थना करते हैं. रस्सियों से रथों को खींचने के लिए भक्त बड़ी संख्या में इकट्ठे होते हैं. रथों को खींचने का अवसर मिलना एक सम्मान और भक्ति का कार्य माना जाता है. गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद भगवान जगन्नाथ भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा 8 दिनों की अवधि के लिए वहां रहते हैं. रथों को जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक खिंचा जाता है. जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आठवें दिन जिसे बाहुड़ा यात्रा के रूप में जाना जाता है. देवता जगन्नाथ मंदिर में लौटते हैं. रथों को उनके मूल स्थान पर वापस खींच लिया जाता है. और यह रथ यात्रा उत्सव के रूप में समापन का प्रतीक है.
FAQ Section
Q. जगन्नाथ पुरी कहां स्थित है?
Ans. जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है.
Q. जगन्नाथ में कौन से भगवान का मंदिर है?
Ans. जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण का मंदिर है उनके साथ उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र है.
Q. जगन्नाथ की आंखें बड़ी क्यों है?
Ans. लोगों के अनुसार भगवान कृष्ण सब कुछ देखते हैं. और इसी बात को दर्शाने के लिए वहां के भगवान की आंखें बड़ी-बड़ी है.
Q. जगन्नाथ मंदिर कितना पुराना है?
Ans. इस मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में उड़ीसा के पुरी में समुद्र तट पर की गई थी. मंदिर की स्थापना गंगा राजवंश के प्रसिद्ध राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने की थी.
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